Gupta Navratri: मां कालरात्रि की पूजा से तुरंत दूर होता है तंत्र-मंत्र का असर

punjabkesari.in Sunday, Jun 28, 2020 - 07:51 AM (IST)

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Gupta Navratri: मां आद्यशक्ति के सप्तम रूप कालरात्रि की नवरात्रि में सातवें दिन पूजा की जाती है। काल का भी नाश करने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है। अतः इस दिन आज्ञा चक्र में एकाग्र होकर मां का ध्यान कर उनकी पूजा करने से समस्त प्रकार के दुख और संताप दूर होते हैं। मां अपने भक्तों की आराधना से प्रसन्न होकर उनकी ग्रह बाधाओं के साथ-साथ अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि व अन्य सभी प्रकार के भय को भी दूर कर देती हैं।

PunjabKesari Maa kalratri

भयावह परन्तु शुभ हैं इनका स्वरूप
मां कालरात्रि का शरीर गहन अंधकार की भांति स्याह काला है। सिर के बाल बिखरे हुए तथा गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। गर्दभ (गधे) पर सवार मां के तीन नेत्र सत, रज तथा तमोगुण का प्रतीक हैं। ये महाकाली की ही भांति अत्यन्त क्रोधातुर दिखाई देती हैं परन्तु अपने भक्तों को ये सदैव शुभ फल देती हैं, जिससे इनका एक नाम शुभंकारी भी है।

ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा
नवरात्रि के सातवें दिन सुबह स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि की आराधना करें। इनकी प्रतिमा अथवा चित्र को लकड़ी की चौकी पर विराजमान कर यम, नियम व संयम का पालन करते हुए मां को पुष्प, दीपक, धूप और नैवेद्य आदि अर्पण कर निम्न मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।

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या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ॐ कालरात्र्यै नम:।।
ॐ फट् शत्रून साधय घातय ॐ।।

इस प्रकार पूजा तथा मंत्र जाप के बाद मां कालरात्रि को प्रसाद अर्पण करें। इनकी आराधना से समस्त प्रकार के तंत्र-मंत्र आदि प्रयोगों को असर समाप्त हो जाता है। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके नाम स्मरण मात्र से ही दूर भाग जाते हैं। ये व्यक्ति की कुंडली में मौजूद ग्रह बाधाओं को भी शांत कर भक्तों की समस्त समस्याओं का तुरंत निराकरण करती हैं।

आचार्य अनुपम जौली
anupamjolly@gmail.com

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