कमल के फूल का ब्रह्मा व ब्रह्मांड से है खास संबंध!
punjabkesari.in Wednesday, Jul 14, 2021 - 03:18 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म से जुड़े कई ग्रंथों में किए वर्णन के अनुसार पीपल, नीम, बरगद के अलावा कई ऐसे वृक्ष है, जिनका धार्मिक दृष्टि से खास महत्व है। जी हां, आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं हम आज आपको ऐसी ही जानकारी देने वाले हैं। बताया जाता है सनातन धर्म में कमल, पारिजात, केतकी आदि के फूलों को भी खासा महत्व है। तो चलिए आज हम जानते हैं कमल के फूल से जुड़ी खास बातें-
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो बताया जाता है कि कमल के फूल की उत्पत्ति भगवान विष्णु जी की नाभि से हुई थी जिससे बाद में ब्रह्माजी जी का प्राक्ट्य हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इसी कारण से ब्रह्मा जी ने कमल के फूल विराजमान होते हैं। इनके अलावा देवी लक्ष्मी व देवी सरस्वती भी कमल के फूल पर सुशोभित होती हैं। बता दें कमल का फूल नीला, गुलाबी और सफेद रंग का पाया जाता है। कमल के फूल दो प्रकार के होते हैं एक कुमुदनी तथा उत्पल यानि नीलकमल। कमल का फूल पानी में ही खिलते अर्थात उगते हैं। परंतु कहा जाता है ब्रह्म कमल को गमले में भी उगाया जा सकता है, हां मगर ये फूल वर्ष में एक ही बार खिलते हैं। कहा जाता है कमल का फूल जल से उत्पन्न होकर कीचड़ में खिलता है परंतु वह मानव को दोनों से निर्लिप्त रहकर वह पावन जीवन जीने की प्रेरणा देता है। अर्थात कि बुराई व गंदगी के बीच रहकर भी व्यक्ति अपनी मौलिकता और पवित्रता को बनाए रख सकता है।
शास्त्रों के अनुसार कमल के फूल की ही तरह सृष्टि और इस ब्रह्मांड की रचना हुई है, और यह ब्रह्मांड इसी फूल की ही तरह माना जाता है। सनातन धर्म में होने वाले अनेक प्रकार के यज्ञों व अनुष्ठानों में कमल के पुष्पों को निश्चित संख्या में चढ़ाने का विधान है। ज्योतिषी मानते हैं कि कमल के फूल को धारण करने से शरीर शीतल रहता है, फोड़े-फुंसी आदि शांत होते हैं तथा शरीर पर विष का कुप्रभाव कम होता है। कहा जाता है कमलगट्टे की माला और सब्जी भी बनाई जाती है। इसके अलावा बौद्ध धर्म के ललित विस्तार ग्रंथ में कमल को अष्टमंगल कहा गया है।