भगवान शिव ने कहा, अपने कष्ट दूर करने हैं तो यंत्र-मंत्र छोड़ो...

punjabkesari.in Friday, Jun 19, 2020 - 08:58 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

बहुत समय पहले की बात है एक बड़ा-सा तालाब था उसमें सैंकड़ों मेंढक रहते थे। तालाब में कोई राजा नहीं था, सच मानो तो सभी राजा थे। दिन-प्रतिदिन अनुशासनहीनता बढ़ती जाती थी और स्थिति को नियंत्रण में करने वाला कोई नहीं था। नई पीढ़ी उत्तरदायित्वहीन थी। जो थोड़े-बहुत होशियार मेंढक निकलते थे वे पढ़-लिख कर अपना तालाब सुधारने की बजाय दूसरे तालाबों में चैन से जा बसते थे। हार कर कुछ बूढ़े मेंढकों ने घनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया और उनसे आग्रह किया कि तालाब के लिए कोई राजा भेज दें जिससे उनके तालाब में सुख चैन स्थापित हो सके। शिव जी ने प्रसन्न होकर नंदी को उनकी देखभाल के लिए भेज दिया। नंदी तालाब के किनारे इधर-उधर घूमता, पहरेदारी करता लेकिन न वह उनकी भाषा समझता था न उनकी आवश्यकताएं। अलबत्ता उसके खुर से कुचल कर अक्सर कोई न कोई मेंढक मर जाता। समस्या और बढ़ गई। अब तो मौतें भी होने लगीं।

PunjabKesari lord shiva
फिर से कुछ बूढ़े मेंढकों ने तपस्या से शिव जी को प्रसन्न किया और राजा को बदल देने की प्रार्थना की। शिवजी ने उनकी बात का सम्मान करते हुए नंदी को वापस बुला लिया और अपने गले के सर्प को राजा बनाकर भेज दिया। फिर क्या था वह पहरेदारी करते समय एक-दो मेंढक चट कर जाता। मेंढक उसके भोजन जो थे। मेंढक बुरी तरह से परेशानी में घिर गए थे।

PunjabKesari lord shiva
फिर से मेंढकों ने घबराकर अपनी तपस्या से भोले शंकर को प्रसन्न किया और कहा कि आप कोई पशु-पक्षी राज करने के लिए न भेजेें। कोई यंत्र या मंत्र दे दें जिससे तालाब में सुख-शांति स्थापित हो सके।

PunjabKesari lord shiva
शिव जी ने सर्प को वापस बुला लिया और अपनी शिला उन्हें पकड़ा दी। मेंढकों ने जैसे ही शिला को तालाब के किनारे रखा वह उनके हाथ से छूट गई और बहुत से मेंढक दबकर मर गए। मेंढ़कों की समस्याओं का हल होना तो दूर उनके ऊपर मुसीबतों को पहाड़ टूट पड़ा। तालाब के मेंढकों में हंगामा मच गया। चीख पुकार रोना-धोना शुरू हो गया। फिर वे मिलकर शिव जी की उपासना में लग गए, ‘‘हे भगवान, आपने ही यह मुसीबत हमें दी है, आप ही इसे दूर करें।’’

PunjabKesari lord shiva
शिव भी थे तो भोलेबाबा ही, सो जल्दी से प्रकट हो गए। मेंढकों ने कहा, समझ में नहीं आता कि हमारे कष्ट कैसे दूर होंगे? इस बार शिव जी जरा गंभीर हो गए। थोड़ा रुक कर बोले, यंत्र-मंत्र छोड़ो और स्व-तंत्र स्थापित करो।

PunjabKesari lord shiva


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News