भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े ‘इंडिया क्लब’ के दरवाजे आज से सदा के लिए हो जाएंगे बंद

punjabkesari.in Sunday, Sep 17, 2023 - 08:59 AM (IST)

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लंदन (प.स.): लंदन स्थित ‘इंडिया क्लब’ रविवार को स्थायी रूप से बंद हो जाएगा। यह इंडिया क्लब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा रहा क्योंकि यह भारतीय राष्ट्रवादियों के लिए वर्षों तक स्वदेश से दूर एक केंद्र रहा है। इसकी दीवारें पूर्व प्रधानमंत्रियों जैसे प्रमुख भारतीयों की तस्वीरों से सजी हैं। इस क्लब के संस्थापक सदस्य कृष्णा मेनन थे जो ब्रिटेन में स्वतंत्र भारत के पहले उच्चायुक्त बने। 

इंडिया क्लब ब्रिटेन के शुरूआती भारतीय रेस्तरां में से एक था और भारतीय स्वतंत्रता के बाद यह ब्रिटिश दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए एक केंद्र बन गया।

क्लब की प्रबंधक फिरोजा मार्कर ने कहा, ‘‘जब से लोगों को पता चला है कि हम क्लब को 17 सितंबर से बंद कर रहे हैं, यहां काफी भीड़ एकत्रित हो रही है। हम क्लब बंद कर रहे हैं पर इसे आसपास स्थानांतरित करने के लिए नए परिसर की तलाश कर रहे हैं।’’ 

पारसी मूल के यादगर मार्कर 
अपनी पत्नी फ्रेनी और बेटी फिरोजा के साथ प्रतिष्ठान चलाते रहे हैं। उन्होंने इसे 1997 में खरीदा था। उस समय इसकी स्थिति अत्यंत खराब थी। परिवार ने ‘सेव इंडिया क्लब’ अपील शुरू की थी और कुछ वर्ष पहले इमारत को आंशिक रूप से ध्वस्त होने से बचाने के लिए उस समय प्रारंभिक लड़ाई जीती थी, जब एक अत्याधुनिक होटल के लिए रास्ता बनाने हेतु उन्हें मकान मालिकों द्वारा नोटिस दिया गया था। इस क्लब में आने वाले लोग यहां पर गर्म डोसे और पकौड़ों का आनंद उठाते थे। 

ब्रिटिश भारतीय इतिहासकार एवं पत्रकार श्रावणी बसु ने कहा, ‘‘लंदन स्थित एक भारतीय पत्रकार के रूप में, यह हमारे लिए एक प्रेरणा स्रोत था। ऐतिहासिक बार में अब बीयर और पकौड़े नहीं मिलेंगे। हमें इसकी कमी महसूस होगी।’’ 

स्वदेश से दूर भारतीयों के लिए यह था ‘अपनी एक जगह’  
इंडिया क्लब के अन्य संस्थापक सदस्यों में से एक पत्रकार चंद्रन थरूर की लंदन में रह रही बेटी स्मिता थरूर अपने भाई एवं कांग्रेस सांसद शशि थरूर तथा परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नियमित रूप से इस क्लब में आती रहती थीं। 

उन्होंने कहा, ‘‘इंडिया लीग के कई पूर्व नेताओं और संस्थापकों ने इंडिया क्लब बनाया था। इसका उद्देश्य लंदन में रहने वाले भारतीयों के लिए स्वदेश से दूर अपनी एक जगह उपलब्ध कराना था। जब हम भारत में बड़े हो रहे थे तो मेरे पिता हमें इसकी कहानियां सुनाते थे।’’


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Content Writer

Niyati Bhandari

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