Lalita Saptami 2024: आज मनाया जाएगा राधा रानी की प्रधान सखी का जन्मदिन जानें, क्यों थीं वे श्री राधा-कृष्ण के सबसे करीब
punjabkesari.in Tuesday, Sep 10, 2024 - 04:00 AM (IST)
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Lalita Saptami 2024: श्री राधा रानी की अष्टसखियां थीं लेकिन ललिता देवी सबसे खास थी। पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन ललिता सप्तमी का पर्व मनाया जाता है और आज 10 सितंबर को ये पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन को गोपिका ललिता जंयती और संतान सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन राधा रानी और श्री कृष्ण के साथ ललिता सखी की पूजा की जाती है। ललिता देवी की पूजा करने से श्रीकृष्ण और राधारानी का विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है। राधा रानी की प्रधान सखी का जन्मदिन मनाना केवल धार्मिक भक्ति ही नहीं बल्कि प्रेम और समर्पण की भावना को भी प्रकट करता है। राधा रानी की प्रधान सखी का जन्मदिन उन भक्तों के लिए एक खास अवसर होता है जो राधा रानी की भक्ति में गहराई से जुड़े हुए हैं। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कौन थी ललिता सखी-
Who was Lalita Devi कौन थीं ललिता देवी
ललिता देवी श्री राधा की प्रिय सहेलियों में से एक थीं। वे राधा रानी के हमेशा साथ रहती थी और उनका ध्यान रखती थीं। ललिता सखी मथुरा के ऊंचागांव से थीं। आज भी पूरे ब्रज में उनकी कहानियां सुनाई जाती हैं। श्री राधा के साथ-साथ ललिता सखी कान्हा जी की भी बहुत प्यारी थीं। ऐसा इस वजह से क्योंकि प्रेम के मामले में उनकी समझ बहुत गहरी थी। मान्यताओं के अनुसार ललिता सखी हर काम में बहुत निपुण थीं। ललिता सखी का एक प्रमुख पहलू उनकी योग्यता और क्षमता में भी दिखाई देता है। वे राधा रानी के साथ मिलकर कृष्ण की लीलाओं में भाग लेती हैं और उनके सुख-दुख में सहभागी बनती थीं। उनकी भूमिका राधा-कृष्ण की लीलाओं में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में होती है। उनकी पूजा और भक्ति से भक्तों को गहरी आध्यात्मिक संतोष प्राप्त होती है। राधा रानी की प्रधान सखी के रूप में ललिता सखी का व्यक्तित्व भक्ति की गहराई और दिव्यता का प्रतीक है और उनकी पूजा से हमें प्रेम और समर्पण के असली अर्थ को समझने में सहायता मिलती है।
संतान सप्तमी शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त 11:58 सुबह– 12:47 दोपहर
अमृत काल 10:45 सुबह– 12:46 प्रात:
ब्रह्म मुहूर्त 04:40 प्रात:– 05:28 प्रात:
Worship Lalita Sakhi in this way इस तरह करें ललिता सखी की पूजा
सबसे पहले सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद पूजा स्थल पर दीपक जलाएं। दीपक की उजाला से वातावरण को पवित्र बनाएं।
इसके बाद ललिता सखी की छवि या मूर्ति पर फूल चढ़ाएं।
फिर विशेष भोग और प्रसाद को ललिता सखी के सामने अर्पित करें।
ललिता सखी के साथ श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा करें। इसके बाद भजन और कीर्तन के माध्यम से ललिता सखी के गुणगान करें।