Kundli Tv- शुरू हो रहा है चातुर्मास, श्री हरि देंगे मुंह मांगा वरदान

punjabkesari.in Saturday, Jul 28, 2018 - 11:02 AM (IST)

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PunjabKesariकल 27 जुलाई गुरू पूर्णिमा के बाद चातुर्मास का आरंभ हो गया है। पदमपुराण के अनुसार भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार मास के लिए शयन करने के लिए चले गए हैं। जब सूर्य कर्क राशि में आता है तब भगवान शयन करते हैं तथा जब तुला राशि में आता है तो भगवान जागते हैं। कुछ लोग एकादशी से चातुर्मास का आरंभ मानते हैं तो कुछ पूर्णिमा से इसलिए इसकी महिमा सर्वाधिक है। इस दिन हवन यज्ञ, धार्मिक कार्य एवं दानादि देकर पुण्यलाभ सहज ही प्राप्त किया जा सकता है। चार्तुमास के विभिन्न कर्मों का पुण्य फल- 

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पद्मपुराण के अनुसार जो मनुष्य इन चार महीनों में मंदिर में झाडू लगाते हैं तथा मंदिर को धोकर साफ करते हैं, कच्चे स्थान को गोबर से लीपते है, उन्हें सात जन्म तक ब्राह्मण कुल प्राप्त होता है। 

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जो भगवान को दूध, दही, घी, शहद, और मिश्री से स्नान कराते हैं, वह संसार में वैभवशाली होकर स्वर्ग में जाकर इन्द्र जैसा सुख भोगते हैं। 


धूप, दीप, नैवेद्य और पुष्प आदि से पूजन करने वाला प्राणी अक्षय सुख भोगता है। तुलसीदल अथवा तुलसी मंजरियों से भगवान का पूजन करने, स्वर्ण की तुलसी ब्राह्मण को दान करने पर परमगति मिलती है। 

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गूगल की धूप और दीप अर्पण करने वाला मनुष्य जन्म जन्मांतरों तक धनाढ्य रहता है। 

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पीपल का पेड़ लगाने, पीपल पर प्रति दिन जल चढ़ाने, पीपल की परिक्रमा करने, उत्तम ध्वनि वाला घंटा मंदिर में चढ़ाने, ब्राह्मणों का उचित सम्मान करने, किसी भी प्रकार का दान देने, कपिला गाय का दान, शहद से भरा चांदी का बर्तन और तांबे के पात्र में गुड़ भरकर दान करने, नमक, सत्तू, हल्दी, लाल वस्त्र, तिल, जूते, और छाता आदि का यथाशक्ति दान करने वाले जीव को कभी भी किसी वस्तु की कमीं जीवन में नहीं आती तथा वह सदा ही साधन सम्पन्न रहता है। 


जो व्रत की समाप्ति यानि उद्यापन करने पर अन्न, वस्त्र और शैय्या का दान करते हैं वह अक्षय सुख को प्राप्त करते हैं तथा सदा धनवान रहते हैं।


वर्षा ऋतु में गोपीचंदन का दान करने वालों को सभी प्रकार के भोग एवं मोक्ष मिलते हैं। 


जो नियम से भगवान श्री गणेश जी और सूर्य भगवान का पूजन करते हैं वह उत्तम गति को प्राप्त करते हैं ।


जो शक्कर का दान करते हैं उन्हें यशस्वी संतान की प्राप्ति होती है। 


माता लक्ष्मी और पार्वती को प्रसन्न करने के लिए चांदी के पात्र में हल्दी भर कर दान करनी चााहिए।


भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बैल का दान करना श्रेयस्कर है। 


चातुर्मास में फलों का दान करने से नंदन वन का सुख मिलता है।


जो लोग नियम से एक समय भोजन करते हैं, भूखों को भोजन खिलाते हैं, स्वयं भी नियमवद्घ होकर चावल अथवा जौं का भोजन करते हैं, भूमि पर शयन करते हैं उन्हें अक्षय कीर्ती प्राप्त होती है। 


इन दिनों में आंवले से युक्त जल से स्नान करना तथा मौन रहकर भोजन करना श्रेयस्कर है।

Kundli Tv- यहां मिलेगी चार्तुमास से जुड़ी हर एक जानकारी


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Niyati Bhandari

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