Kharmas: 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक विवाह और मांगलिक कार्यों पर BAN !
punjabkesari.in Monday, Dec 02, 2024 - 01:00 AM (IST)
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Kharmas 2024: खरमास (जिसे हिंदी में खर्मास भी कहा जाता है) एक खास धार्मिक और ज्योतिषीय अवधारणा है, जो आमतौर पर हिंदू पंचांग के अनुसार दिसंबर-जनवरी के बीच आती है। इस समय को विशेष रूप से विवाह और मांगलिक कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। आइए, जानें इसके कारण और नियम:
खरमास में विवाह और मांगलिक कार्यों के बंद होने के कारण:
सूर्य की मकर राशि में प्रवेश:
खरमास तब होता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। वर्ष 2024 में 15 दिसंबर से खरमास शुरू होने वाला है। पंचांग के अनुसार, 15 दिसंबर को रात 10 बजकर 19 मिनट पर सूर्य धनु राशि में गोचर करेंगे। खरमास 14 जनवरी 2025 को समाप्त होगा। हिंदू ज्योतिष में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना एक विशेष समय माना जाता है, जो धरती पर शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं होता। इसे सूर्य के दक्षिणायन का समय कहा जाता है, जब सूर्य दक्षिण दिशा में चलता है और यह समय तात्कालिक रूप से अशुभ माना जाता है।
शुभ कार्यों का स्थगन:
इस अवधि में सूर्य का दक्षिणायन यात्रा शुरू होती है, जिसे पौराणिक दृष्टि से अशुभ समय माना गया है। इसी कारण इस समय को अशुभ काल माना जाता है और धार्मिक और सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार, इस दौरान विवाह, नए घर में प्रवेश (गृह प्रवेश), यज्ञ, मुंडन या अन्य मांगलिक कार्यों को स्थगित करने की परंपरा है।
धार्मिक मान्यताएं:
हिंदू धर्म में सूर्य की स्थिति को बहुत महत्व दिया जाता है। जब सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है (जो कि 14 जनवरी के आसपास होता है), तो उसे शुभ माना जाता है। इसलिए खरमास के दौरान विवाह और मांगलिक कार्यों को टाल दिया जाता है क्योंकि यह समय सूर्य की दक्षिणायन गति का होता है, जिसे ऊर्जा की कमी और असंतुलन से जुड़ा माना जाता है।
खरमास के दौरान किए जाने वाले नियम:
शुभ कार्यों को टालना:
खरमास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, शादियों और अन्य मांगलिक कार्यों को टालने की परंपरा है। यह समय ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से अनुकूल नहीं माना जाता इसलिए इन कार्यों को स्थगित किया जाता है।
उत्सव और पार्टी का आयोजन नहीं करना:
खरमास में विवाह और मांगलिक कार्यों के अलावा अन्य बड़े उत्सवों और पार्टी के आयोजन को भी नहीं किया जाता है। हालांकि, कुछ हल्के धार्मिक अनुष्ठान जैसे पूजा और व्रत किए जा सकते हैं लेकिन बड़े समारोहों से बचने की सलाह दी जाती है।
शारीरिक और मानसिक साधना:
खरमास के दौरान धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय साधना, पूजा, तपस्या और ध्यान करना अधिक फलदायी माना जाता है। यह समय आत्म-सुधार और मानसिक शांति प्राप्त करने का भी अच्छा अवसर माना जाता है।
सावधानी और संयम:
खरमास के दौरान आमतौर पर संयमित जीवन जीने की सलाह दी जाती है। यह समय पृथ्वी और आकाश की शक्तियों के सामंजस्य के लिए उत्तम माना जाता है और इस दौरान किसी प्रकार की अत्यधिक खुशहाली या उत्सव से बचने का निर्देश होता है।
खरमास समाप्त होने के बाद:
खरमास 30 दिन तक रहता है और 14 जनवरी (मकर संक्रांति) के आसपास समाप्त हो जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है और उसके बाद से शुभ कार्यों का आयोजन फिर से प्रारंभ किया जा सकता है। मकर संक्रांति के दिन को एक विशेष दिन माना जाता है क्योंकि यह समय सूर्य के उत्तरायण होने का संकेत है, जिसे ज्योतिष में शुभ और ऐश्वर्य का समय माना जाता है।
खरमास का समय विशेष रूप से सूर्य के दक्षिणायन होने के कारण अशुभ माना जाता है। इस समय में विवाह, मांगलिक कार्य और बड़े उत्सवों को टालने की परंपरा है। यह समय साधना, पूजा और आत्म-निवेदन का होता है। जैसे ही सूर्य उत्तरायण होता है, तब से शुभ कार्यों का पुनः आरंभ होता है, विशेष रूप से मकर संक्रांति के दिन।