किसी दूसरे से कोई भी काम करवाने से पहले ध्यान में रखें ये बात

punjabkesari.in Tuesday, Mar 03, 2020 - 01:06 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अपेक्षाएं यानि उसके लिए ऐसा किया तो बदले में मुझे ‘यह’ मिलना चाहिए। अपेक्षाओं के व्यूह जाल में उलझ कर अधिकांश लोग आजीवन भिक्षा पात्र लिए घूम रहे होते हैं कि अन्य लोग आएं और उसमें समय, संवेदना, उपहार, प्रेम, मैत्री, वार्तालाप जैसे भाव-प्रदान करें। यह अपेक्षा सौदेबाजी है जो हम भगवान से लेकर संतान, मालिक से लेकर मुलाजिम, यारी-दोस्ती, पति-पत्नी जैसे सभी संबंधों में करते हैं। हर समय हमारा दिमाग कम्प्यूटर की तरह हिसाब-किताब रख रहा होता है कि किसने हमारी भावना का प्रतिकार अपेक्षा के मुताबिक किया और किसने नहीं किया। उसी अनुपात में हमारी प्रसन्नता का स्तर भी घटता-बढ़ता रहता है। यदि हम एक क्षण रुक कर विचार करें तो यह बात आइने की तरह साफ हो जाती है कि आज हर रिश्ते में हो रही खटपट, बढ़ते हुए मनमुटाव के मूल में अपेक्षाएं काम कर रही हैं।
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अपेक्षा रखने का अर्थ है अपनी खुशियों की कुंजी किसी और के हाथों में दे देना क्योंकि दूसरे हमारे साथ हमारी नेकियों के बदले किस प्रकार का व्यवहार करेंगे यह हम तय नहीं कर सकते हैं परंतु हमारी अपेक्षाएं प्रत्येक क्षण हमारे ऊपर शिकंजा कसती रहती हैं और हम सोचते हैं कि इस व्यक्ति का व्यवहार हमारे प्रति इतना कठोर कैसे हो गया? क्या हमारे व्यवहार में कमी रह गई या फिर हमने अपेक्षा रख कर ही गलत किया? अपेक्षा रख कर हम अपने मन को सिवाय उदासी के और कुछ नहीं देते हैं।
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सौ टका सच है कि हर व्यक्ति दूसरे को वही दे सकता है जो उसके पास होता है। अगर हम किसी को प्रेम, मैत्री, समय, भावनाएं प्रदान करते हैं तो इसका अर्थ है कि हमारे पास मानवीय संवेदनाएं और कोमल भावनाओं का अकाल नहीं है लेकिन जैसे ही हम किसी के साथ कुछ अच्छा करके अपने आपको अपेक्षा की डोर में बांध लेते हैं उस समय हम उसके मोहताज हो जाते हैं। 
 


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Jyoti

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