पति की लंबी आयु की कामना का व्रत करवाचौथ मिटाता है सभी दुख संताप

punjabkesari.in Tuesday, Oct 15, 2019 - 09:37 AM (IST)

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हमारे भारत देश में पति व्रता औरतों की कमी नहीं है। अपने पति की लंबी उम्र के लिए हर महिला स्त्री हर हद पार करने को तैयार हो जाती है। प्राचीन काल में हिंदू धर्म के कई देवियों ने भी अपने पतिव्रता को निभाने के लिए ऐसे कई महान कार्य किए जो आज के समय में भी प्रख्यात है। इन्हीं मान्यताओं के आधार पर कलियुग में कुछ ऐसे व्रत व त्यौहार मनाए जाते हैं जिसके द्वारा वो अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इन त्यौहारों में तीज, हरियाली तीज व करवाचौथ का पर्व मुख्य माने जाते हैं। इस माह की 17 तारीख़ को करवाचौथ का व्रत मनाया जाएगा।
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इस साल 2019 में करवा चौथ का पर्व 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है। करवा माता का पूजन, व्रत उपवास रखकर करती जिससे प्रसन्न होकर करवा माता व्रती की हर इच्छा पूरी करती है। अगर करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं एवं योग्य जीवनसाथी की कामना से अविवाहित कन्याएं भी विधिवत करवा माता की पूजा करेंगी तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। करवा चौथ का पर्व कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। करवा चौथ के दिन ऐसे करें मां करवा माता का पूजन।

इस दिन व्रत रखने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं
पत्नियां अपने पति की लंबी आयु की कामना से करवा चौथ का पर्व मनाती है। छान्दोग्य उपनिषद के अनुसार करवा चौथ के दिन व्रत रखने से सारे पाप नष्ट होते हैं और जीवन में किसी प्रकार के कष्ट नहीं आते। इस व्रत को करने से सुहागिन महिला की आयु में वृद्धि होती है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर चंद्रमा की पूजा की जाती है और पूजन के बाद मिट्टी के बने करवे में चावल, उड़द और सुहाग की सामग्री रखकर अपनी सास या अन्य किसी सुहागिन महिलाओं को यह करवा भेंट करने की प्राचीन प्रथा है।

ऐसे करें करवा माता का पूजन
करवा चौथ के दिन पूजा स्थल में बैठकर दाहिने हाथ में थोड़ा जल एवं चावल लेकर व्रत करने का संकल्प लें।

संकल्प लेते समय इस मंत्र का उच्चारण करें-
मंत्र-
मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।

घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और चावल को पीसकर उससे करवा का चित्र बनाएं। इस रीति को करवा धरना कहा जाता है।
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शाम के समय मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा के लिए ऐसी फोटो को रखे जिसमें श्रीगणेश माता पार्वती की गोद में बैठे हो, भगवान के आसन के लिए लकड़ी से बना आसन ही सर्वोत्म माना गया है।

माता पार्वती को श्रृंगार की सभी सामग्री चढ़ाएं या फिर उनका श्रृंगार करें।

अब मां पार्वती, श्रीगणेश एवं भगवान शिवजी का भी पूजन करें।

शाम या रात्रि में चंद्रोदय के बाद चांद की पूजा कर अर्घ्य दें।

सुहागिन महिलाएं अपने पति के हाथ से पानी पीकर या निवाला खाकर अपना व्रत खोलें।

पूजन समाप्त होने के बाद अपने सास ससूर और घर के बड़ों का आर्शीवाद पैर छुकर जरूर लें।

संभव हो तो एक कोरे करवा में जल भरकर करवा चौथ की व्रत कथा का पाठ या श्रवण अवश्य करें।
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Jyoti

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