संतान प्राप्ति के लिए उत्तराखंड के इस मंदिर में महिलाएं करती ये कठिन तप

punjabkesari.in Friday, Dec 11, 2020 - 06:45 PM (IST)

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हमारे भारत देश में मंदिरों की भरमार देखने को मिलती है। तो वहीं इन मंदिरों का रहस्य सनातन धर्म के देवी-देवताओं से संबंध होने के कारण ये न केवल अपने देश में बल्कि अन्य देशों में भी प्रसिद्धि प्राप्त किए हुए हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जिससे जुड़ी मान्यता के कारण लोग-लोग दूर-दूर से इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं। जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के श्रीनगर में स्थित है, जिसे कमलेश्वर नाम से जाना जाता है। यूं तो यहां कभी भी पूजा अर्चना कीजा सकती है, मगर लोक मान्यताओं के कार्तिक मास में आकर यहां पूजा करने का अधिक महत्व है। इस मंदिर से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध मान्यता है कि यहां पूजा करने वाले निःसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्त का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो आइए विस्तारपूर्वक जानते हैं इस मंदिर के बारे में-
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ये है मंदिर से जुड़ी है ये पौराणिक कथा-
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में इस मंदिर में भगवान विष्णु ने शिव शंकर की आराधना की थी। पंरतु इस पूजा की साक्षी कुछ नि-सांन दंपत्तियां भी थे। जिन्होंने भगवान शिव से संतान प्राप्ति की इच्छा मांगी। भगवान शिव ने पूजा से प्रसन्न होकर सभी निःसंतान दंपत्तियों को वरदान दिया कि जो भी यहां आकर श्रद्धापूर्वक पूजा करेगा, उसकी खाली झोली को संतान की प्राप्ति अवश्य होगी। ऐसी मान्यता है कि तभी से यहां निःसंतान दंपत्ति आकर विशेष पूजा करती हैं। खासतौर पर कार्तिक मास में आने वाली बैकुंठ चतुर्दशी की रात यहां अधिकतर भीड़ देखी जाती है।

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खड़े दीए की होती है पूजा-
संतान प्राप्ति का आशीर्वाद पाने वाली महिलाएं यहां बैकुंठ चतुर्दशी के दिन खासतौर पर खड़े दीए की पूजा करती हैं। यहां की मान्यताओं के अनुसार इस पूजा का यहां काफी कठिन माना जाता है। ये पूजा चतुर्दशी के दिन से शुरू होती हैं, जिस दौरान उपवास रखकर रात में मंदिर में स्थापित शिवलिंग के समक्ष हाथ में दीपक पकड़कर रात भर खड़ी रहती है, और शिव जी से संतान प्राप्ति का वरदान मांगती है।
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बैकुंठ चतुर्दशी पर लगता है मेला-
बताया जाता है कि हर वर्ष बैकुंठ चतुर्दशी के मौके पर कमलेश्वर मंदिर में दो दिवसीय मेले का आयोजन होता है, जिसमें विशेष रूप से वो महिलाएं पहुंचती हैं जो लाख कोशिशों के बाद भी मां नहीं बन पाती। संतान पाने की इच्छा के लिए महिलाएं इस मेले में पहुंचती है, जिस दौरान दीया हाथ में लेकर रात भर भगवान से प्रार्थना करती हैं। बता दें इस अनुष्ठान में शामिल होने के लिए बाकायदा रजिस्ट्रेशन तक होता है। लोगों का कहना है कि केवल भाग्यशाली दंपत्तियों को ही इसमें शामिल होने का अवसर प्राप्त होता है।

 

 


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Jyoti

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