Kamada Ekadashi: कामदा एकादशी पर इस विधि से करें अपनी अधूरी कामनाएं पूरी

punjabkesari.in Tuesday, Apr 08, 2025 - 01:47 PM (IST)

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Kamada Ekadashi 2025: कामदा एकादशी एक विशेष व्रत और भगवान ‌विष्णु की पूजा का दिन है। जो हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। कामदा एकादशी अपने नाम में बड़ा महत्व लिए हुए है, जिसमें 'काम' का अर्थ है 'इच्छा' और 'द' का अर्थ है 'देना'। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति की सभी सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति होती है। विशेष रूप से यह व्रत उन लोगों के लिए फलदायी माना जाता है, जिनकी कोई विशेष इच्छा अधूरी हो। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु के विशेष आशीर्वाद से सभी प्रकार के पापों से मुक्त हुआ जा सकता है, आत्मसंतोष, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।

Kamada Ekadashi vrat katha: इस व्रत कथा को पढ़ने वाले की पूरी होती है हर Wish

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Kamada Ekadashi Vrat Vidhi कामदा एकादशी व्रत विधि: कामदा एकादशी का व्रत और पूजा व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उसे न केवल आंतरिक शांति देती है बल्कि जीवन में सच्चे सुख की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है। कामदा एकादशी व्रत करने से आत्मा शुद्ध होती है और भगवान विष्णु के आशीर्वाद से समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। यदि उपवास कठिन लगे तो फलाहार किया जा सकता है लेकिन उसे भी संतुलित और साधारण रखना चाहिए।

Kamada Ekadashi Vrat

स्नान और शुद्धता: इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। शरीर और मन की शुद्धि के बाद ही पूजा में सम्मिलित होना चाहिए।

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व्रत संकल्प: दिन के प्रारंभ में संकल्प लें कि आप पूरे दिन व्रत करेंगे। भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें और उनके चरणों में समर्पण का भाव रखें।

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भगवान विष्णु की पूजा: इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। विशेष रूप से "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें। उनके चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं, अगर संभव हो तो तुलसी के पत्तों के साथ अर्पित करें।

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रात्रि जागरण और भजन: कामदा एकादशी के दिन रात्रि जागरण करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है। भगवान विष्णु के भजन और कीर्तन करें, जिससे आत्मा को शांति मिलती है और व्रति के पुण्य में वृद्धि होती है। भजन और कीर्तन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

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ब्राह्मणों और गरीबों को दान: व्रत समाप्त होने के बाद ब्राह्मणों को भोजन और दान देना चाहिए। यदि संभव हो तो गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, फल या अन्य चीजें दान करें। यह दान आपके पुण्य को कई गुना बढ़ाता है।

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प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भगवान के चरणों में अर्पित किया गया प्रसाद घर के सभी सदस्यों में वितरित करें। इसके माध्यम से घर में सुख-शांति का वास होता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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