हकीकत या फसाना: भैरव बाबा शराब और तंबाकू से होते हैं प्रसन्न और देते हैं मुंह मांगा वर !

punjabkesari.in Saturday, Nov 23, 2024 - 09:13 AM (IST)

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Kaal Bhairav puja: भैरव बाबा की पूजा से जीवन में सुरक्षा, मानसिक शांति, आत्मिक उन्नति और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। उनके प्रति श्रद्धा और समर्पण से व्यक्ति अपने जीवन में नकारात्मकता को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है। साथ ही भैरव बाबा की पूजा करने से जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति और दिव्य मार्गदर्शन भी मिलता है। काल भैरव को शराब और तंबाकू चढ़ाने की परंपरा का संबंध हिन्दू धर्म के कुछ विशेष रीतिरिवाजों और विश्वासों से है। काल भैरव को शास्त्रों में भैरव, शिव के अवतार के रूप में पूजा जाता है और उन्हें "शराब के देवता" के रूप में भी पूजा जाता है। इस परंपरा के पीछे कुछ कारण और धार्मिक मान्यताएं भी हैं:

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शिव और भैरव का संबंध: भैरव बाबा शिव के उग्र रूप माने जाते हैं और उन्हें भगवान शिव का आदेशपालक और नायक माना जाता है। शिव ने भैरव को नकारात्मक शक्तियों का नाश करने और धर्म की रक्षा करने का कार्य सौंपा। शिव की पूजा में भैरव बाबा का पूजन अनिवार्य माना जाता है क्योंकि वे शिव के आदेशों का पालन करते हैं और उनके भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से उबारने का कार्य करते हैं।

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काले तिल, शराब और तंबाकू से जुड़ा महत्व: काल भैरव की पूजा में काले तिल, तंबाकू और शराब अर्पित करने की परंपरा है। यह भैरव जी के उग्र रूप के प्रतीक के रूप में है, जो कड़ी साधना और तपस्या के बाद अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं। ये प्रतीक इस बात को दर्शाते हैं कि भैरव जी साधक को विकारों और नकारात्मकताओं से मुक्ति दिलाते हैं ताकि वे अध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सकें।

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धार्मिक आस्था और परंपरा का पालन: भैरव बाबा की पूजा के माध्यम से व्यक्ति अपनी धार्मिक आस्था को प्रकट करता है और परंपराओं का पालन करता है। यह पूजा न केवल मानसिक शांति का स्रोत होती है बल्कि यह परिवार और समाज में सौहार्द और समृद्धि भी लाती है।

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काल भैरव का रौद्र रूप: काल भैरव का रूप बहुत ही रौद्र और भयभीत करने वाला माना जाता है। वे न केवल मृत्यु के देवता हैं, बल्कि वे सृष्टि के संहारक और न्याय के प्रतीक भी हैं। उनकी पूजा में शराब और तंबाकू को चढ़ाना एक प्रतीकात्मक कृत्य है जो उनके रौद्र रूप और तामसी शक्तियों से जुड़ा हुआ है।

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शराब का प्रतीकात्मक अर्थ: शराब को काल भैरव को चढ़ाने की परंपरा का एक पहलू यह भी है कि यह तामसी गुणों (जिनमें उत्तेजना, मद, और अज्ञानता का प्रतीक) से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जब शराब भैरव को अर्पित की जाती है, तो यह उनके नियंत्रण में आ जाती है और उनके आशीर्वाद से व्यक्ति पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। इसके अलावा, शराब को चढ़ाने से व्यक्ति की आत्मिक उन्नति और शांति भी संभव मानी जाती है, खासकर जब व्यक्ति किसी परेशानी से गुजर रहा हो।

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तंबाकू का योगदान: तंबाकू भी काल भैरव को चढ़ाने का एक अन्य पारंपरिक भोग है। तंबाकू को भैरव की पूजा में अर्पित करने का एक कारण यह हो सकता है कि यह तामसी और उग्र गुणों के साथ जुड़ा हुआ है, जो भैरव के शरण में आने वालों के लिए नियंत्रण और निवारण का माध्यम बनता है।

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उद्धारण और पारंपरिक मान्यताएं: कुछ स्थानों पर यह विश्वास है कि काल भैरव के आशीर्वाद से शराब और तंबाकू जैसे तामसी पदार्थ व्यक्ति के जीवन में रुकावट नहीं डालते, बल्कि यह एक साधक को ध्यान और साधना में और अधिक शक्ति प्रदान करते हैं। कुछ लोग इसे एक तरह की "स्वीकृति" के रूप में मानते हैं कि भैरव उन चीज़ों को स्वीकार करते हैं जो आमतौर पर समाज में वर्जित मानी जाती हैं।ध्यान देने योग्य बात यह है कि काल भैरव की पूजा में शराब और तंबाकू का अर्पण एक परंपरा है और यह केवल कुछ स्थानों और समुदायों में प्रचलित है। सभी हिन्दू साधक और भक्त इन चीज़ों को स्वीकार नहीं करते और इस परंपरा को लेकर अलग-अलग विचारधाराएं और मान्यताएं हैं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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