ज्योतिष से जानिए, पूजा की बची हुई सामग्री का क्या करना चाहिए?
punjabkesari.in Thursday, Dec 02, 2021 - 03:30 PM (IST)
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घर में जब भी छोटी या बड़ी पूजा कराते हैं तो थोड़ी बहुत उसकी सामग्री बच जाती है। जैसे कि चावल, मौली, कुमकुम। बहुत कम लोग जानते हैं कि इस बची हुई सामग्री का क्या करना चाहिए। इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि कैसे बची हुई पूजा सामग्री से सुख-समृद्धि और वैभव पा सकते हैं। अधिकांश लोग पूजा में बची हुई सामग्री को किसी पहती नदी में प्रवाह कर देते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। तो चलिए एक-एक कर सभी सामग्री के बारे में जानते हैं।
अक्षत
पूजन संपन्न होने के बाद जो अक्षत थाली में बचा रह जाएं उन्हें घर में रखे गेहूं-चावल आदि में मिला दें। इससे घर हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण रहेगा। अब बात करते हैं चुनरी की। इसे अपने घर की अलमारी में कपड़ों के साथ रखें ताकि माता के आशीर्वाद से हम रोज़ नए कपड़े पहन सकें और माता की कृपा हम पर बनी रहे।
इसी तरह बिंदी और मेहंदी जो बच जाती है तो उसे कुंवारी लड़कियों और विवाहित स्त्रियों को लगाना चाहिए। माना जाता है कि इससे कुंवारियों को योग्य वर और विवाहिताओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
तो वहीं पूजन शुरू करने से पहले प्रथम पूज्य गणेशजी की पूजा की जाती है। प्रतीकात्मक रूप से हम गणेशजी की स्थापना करते हैं। पान पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर गोल सुपारी रखकर जनेऊ पहनाते हैं। पूजन के बाद इन्हें लाल कपड़े में बांधकर रखें ताकि धन की बरकत बनी रहे।
नारियल
इसे सहेज कर न रखें। बल्कि फोड़कर उसका प्रसाद बांट दें। यदि ऐसा नहीं करना है तो हवन में पूरा नारियल होम दें अन्यथा उसे लाल या सफेद कपड़े में बांधकर पूजा वाले स्थान पर रखें। तो वहीं अगर बात करें मौली या रक्षा सूत्र की तो पूजन से बचे हुए रक्षा सूत्र को घर की अलमारी या दुकान की तिजोरी पर बांध सकते हैं।
पुष्प-हार
इन्हें फेंके नहीं बल्कि घर के मुख्य दरवाजे पर बांध दें। पुष्प हार जब पूरी तरह मुरझा जाएं तो गमले या बगीचे में इन्हें फैला दें। ये नए पौधे के रूप में आपके साथ रहेंगे।
कुमकुम
किसी भी देवी-देवता का पूजन बिना कुमकुम के अधूरा माना जाता है। पूजन के बाद बचे हुए कुमकुम को महिलाएं अपनी मांग में लगाएं, इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। घर में जब भी कोई नई वस्तु की खरीदारी हो, तब उसका पूजन इसी कुमकुम से करने पर धन-वैभव में वृद्धि की मान्यता है।
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