ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती का संयोग, कर लें ये काम मेहरबान होंगे पितृ संग शनिदेव

punjabkesari.in Thursday, Jun 06, 2024 - 06:33 AM (IST)

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Jyeshtha Amavasya 2024: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या का दिन बेहद पुण्यदायी माना गया है क्योंकि बता दें कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती के होने से इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसे में ये दिन पितरों के साथ शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए बेहद खास है। बता दें इस साल 06 जून, दिन गुरुवार को आज ज्येष्ठ अमावस्या पड़ रही है। इसी बीच आज इस आर्टिकल में जानेंगे कि ज्येष्ठ अमावस्या पर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त, शनिदेव पूजा का शुभ मुहूर्त साथ ही साथ कष्टों से मुक्ति पाने के लिए इस दिन क्या करना चाहिए। 

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 Auspicious time for bathing and donation on Jyeshtha Amavasya ज्येष्ठ अमावस्या पर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या का आरंभ 5 जून को रात 07 बजकर 54 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 06 जून को शाम 6 बजकर 07 मिनट पर होगा। बता दें कि उदया तिथि के चलते ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून, दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। वहीं इस दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। 
 
इसके अलावा इस दिन शनि जयंती भी है तो ऐसे में शनि जयंती पर सुबह के समय शनिदेव पूजा का शुभ समय सुबह 10 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगाऔर संध्या के समय शनिदेव पूजा का शुभ मुहूर्त 05 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। 

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 आगे आपको बता दें कि धर्म शास्त्रों में ज्येष्ठ अमावस्या का दिन बहुत पवित्र, पुण्य फलदायी और सौभाग्यशाली माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सात जन्मों के पाप और पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितरों को बताया गया है इसलिए इस तिथि पर पितरों को तर्पण व पिंडदान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं ज्येष्ठ अमावस्या पर शनिदेव का जन्म हुआ था ऐसे में इस दिन शनिदेव की उपासना करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या व महादशा से मुक्ति मिल जाती है। शनि जयंती के साथ इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं। 

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तो आइए अब आपको बताते हैं ज्येष्ठ अमावस्या पर क्या करना चाहिए-

ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान या पवित्र नदी में स्नान करें। फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें और बहते जल में तिल प्रवाहित करें। इस दिन अपने पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण करें और जरूरतमंदों को दान करें। साथ ही इस दिन साथ पितरों के नाम का घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं। इसके अलावा इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा अवश्य करें। इस दिन शनि जयंती भी है, इसलिए इस दिन शनि चालीसा का पाठ और शनि मंत्रों का जाप करें। 


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Content Editor

Prachi Sharma

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