धैर्य और स्नेह क्यों इन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है?
punjabkesari.in Saturday, Oct 25, 2025 - 02:00 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Inspirational Story: एक राजा घोड़ों का बड़ा शौकीन था। एक बार उसने एक व्यापारी से घोड़े मंगवाए। राजा ने अपने दोनों पुत्रों को बुलवाया और कहा, “इनको दौड़ाकर इनका गुण-दोष परखो।”

वे लाखों रुपयों के मूल्यवान घोड़े थे। राजा को श्रेष्ठ घोड़े खरीदने थे। राजकुमारों ने बारी-बारी से घोड़ों पर बैठकर कुछ दूर तक सवारी कर उन्हें जांचा।
राजा ने राजकुमारों से पूछा, “बोलो, कैसे हैं ये? क्या हम इन्हें खरीद लें?” बड़ा राजकुमार बोला, “महाराज, बिल्कुल खराब घोड़े हैं। ये हमारे किसी काम के नहीं हैं।”
छोटे राजकुमार से पूछा गया तो वह कहने लगा, “महाराज, बहुत बढ़िया घोड़े हैं। इन्हें बिना कुछ सोचे खरीद लीजिए।”
राजा ने सामने दुविधा खड़ी हो गई। एक राजकुमार घोड़ों को अयोग्य कह रहा था, जबकि दूसरा राजकुमार उन्हें योग्य और उपयोगी बता रहा था। आखिर किसकी राय को महत्व दें।

राजा ने छोटे राजकुमार से कहा, “बेटा, तुम्हारा भाई तो विपरीत मत प्रकट कर रहा है। आखिर तुमने इनमें क्या अच्छाई देखी?”
छोटे राजकुमार ने कहा, “महाराज, भैया की राय भी ठीक है और मैं जो कह रहा हूं, वह भी ठीक है। वास्तव में भैया ने घोड़ों को अपनाया नहीं, बल्कि सीधे उन पर सवारी गांठनी चाही तो घोड़ों ने उन्हें गिरा दिया और मैंने पहले घोड़ों को प्यार दिया, फिर उन पर सवारी की इसलिए मेरे सामने कोई समस्या नहीं आई।
मुझे लगता है अपरिचित घोड़े पर सीधे सवारी नहीं करनी चाहिए, पहले उसे प्यार से पुचकारना चाहिए। इंसान हो या जानवर, सब प्रेम के भूखे होते हैं। यह सुनकर राजा ने छोटे राजकुमार को गले लगा लिया।

