Inspirational Story: क्या वाकई पद से मिलती है इज्जत ? जानिए असली सम्मान का रहस्य

punjabkesari.in Saturday, Aug 30, 2025 - 07:00 AM (IST)

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Inspirational Story: सिकंदर स्वयं जितना योग्य था, उसका सेनापति भी अपनी योग्यता और ईमानदारी के लिए उतना ही प्रसिद्ध था। एक बार सेनापति की एक मामूली सी गलती से नाराज होकर सिकंदर ने उसे पद से हटा कर सूबेदार बना दिया। छोटा-सा ओहदा पाकर भी सेनापति ने कोई नाराजगी नहीं दिखाई। सिकंदर के निर्णय को सहर्ष स्वीकार कर लिया। सूबेदार के छोटे पद पर भी उसने हमेशा की तरह अपनी निष्ठा और राज्य के प्रति समर्पण में कमी नहीं आने दी।

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कुछ समय बाद सूबेदार सिकंदर के सामने पेश हुआ तो सिकंदर ने पूछा, ‘तुम सेनापति से सूबेदार बनाए गए लेकिन तुम हमेशा की तरह संतुष्ट और उत्साहित हो, ऐसा कैसे? ’

सूबेदार ने कहा, ‘राजन ! मैं तो पहले से भी अधिक सुखी और संतुष्ट हूं। जब मैं सेनापति था, तब सब छोटे अधिकारी मुझसे डरा करते थे, पर अब वे सब  मुझसे प्यार करते हैं और मुझसे सलाह लेते हैं। मेरा मानना है कि सही अर्थों में उनकी सेवा का अवसर मुझे अब मिला है।’

‘जब तुम सेनापति  के पद से हटाए गए तो अपमान महसूस नहीं हुआ ?’

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सिकंदर ने प्रश्न किया। सूबेदार मुस्करा कर बोला, ‘मेरे विचार में सम्मान पद में नहीं है, मानवता में है। ऊंचा पद पाकर कोई अहंकारी हो जाए और दूसरों को सताए, वह तो निंदा योग्य है। दूसरों की सेवा करने, विनम्र और कर्त्तव्यनिष्ठ रहने में ही सम्मान है। ऐसा होने पर ही वह सुखी और संतुष्ट रह सकता है। चाहे वह सेनापति हो या सूबेदार या सैनिक।

सिकंदर को सूबेदार के इस जवाब ने बहुत प्रभावित किया। उसने उसे अपने कक्ष में बुलाकर क्षमा मांगी और फिर से सेनापति बना दिया।

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Content Editor

Prachi Sharma

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