Inspirational Story: होनहार बिरवान के होत चिकने पात

punjabkesari.in Sunday, May 21, 2023 - 09:22 AM (IST)

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Inspirational Story: किसी गांव में एक परिवार रहता था जिसमें सोनू और मोनू दो बच्चे थे। दोनों जुड़वां थे, पर बस जन्मदिन में ही समानता थी, बाकी तो हर गुण पूर्व और पश्चिम था। सोनू जितना समझदार, मोनू उतना ही उल्टा घड़ा। कोई सही बात उसके पल्ले पड़ती ही नहीं थी और कामचोर तो ऐसा कि नाक पर मक्खी भी बैठ जाए तो उसे उड़ाने भी कोई दूसरा ही आए। मां के लाडले तो दोनों ही थे पर कहते हैं न नालायक बच्चा मां को ज्यादा प्यारा होता है क्योंकि वह भी जानती है सोनू अपना हर काम करने में सक्षम है चाहे पढ़ाई हो या कमरे की साफ-सफाई रखनी हो। बड़ों की मदद करनी हो या और कोई समझदारी का काम हो, पर मोनू तो अपने ऊपर भी बोझ ही था। हर काम के लिए औरों का मुंह ताकता। ऐसा नहीं था कि उसे कुछ आता नहीं था। वह हर बात समझता था पर खुद को जरूरत से ज्यादा चालाक समझना, झूठ बोलना किसी की बात न मानना और जिद करना जैसे उसकी आदत ही बन चुकी थी।

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मां की अंधी ममता तो उसकी इन कमियों को समझ नहीं पाती थी या पुत्रमोह में समझना नहीं चाहती थी, पर सोनू उसकी हर चालाकी समझता था पर कुछ कहता नहीं था। उसे लगता था कि समय के साथ मोनू सुधर जाएगा पर सोनू के अनुकूल कुछ नहीं हो रहा था। चीजें आगे-आगे बिगड़ती ही जा रही थीं। मोनू के झूठ और चालाकियां बढ़ती जा रही थीं।

कभी वह सोनू की कापियों पर अपना नाम लिख टीचर को दिखा देता और सोनू को डांट पड़वाता और कभी घर में रखे पैसे उठा लेता।

मां जो भी कुछ खाने की चीजें लाती, मोनू उन्हें चुपचुप चोरी करके कुछ खुद खाता कुछ दोस्तों को खिलाता पर जब मां पूछती तो कसमें खा कर और टसुए बहा कर उन्हें पक्का यकीन दिला देता कि वह काम सोनू का है।

अब सोनू के भी पानी सर के ऊपर हो गया था। अब उसको कैसे भी मां की आंखों पर पड़ा ममता का पर्दा हटाना था। उसने एक दिन मां के पास  जाकर उन्हें एक तरकीब सुझाई, जिससे मोनू को रंगे हाथ पकड़ा जा सकता था। मां पहले तो नहीं मानीं, पर बाद में उन्हें भी लगा कि अगर इस उम्र में ही मोनू ऐसे झूठ बोल रहा है तो यह उसके भविष्य के लिए ठीक नहीं। मां ने दूसरे दिन कढ़ी बनाने के लिए काफी सारे पकौड़े बनाए और किचन में रख कर दूसरे कामों में व्यस्त हो गईं।

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आदत से मजबूर मोनू चुपचाप किचन में आकर पकौड़े उठाकर बाहर अपने दोस्तों के साथ खेलने चला गया। सबने मजे से पकौड़े खाए और घर लौट आए। सोनू अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था। मां जब थोड़ी देर बाद खाना बनाने किचन में आईं तो पकौड़े गायब। उन्होंने सोनू से पूछा तो उसने कहा कि वह तो पढ़ रहा था और तभी पेट पकड़ कर मोनू अंदर आया तो मां ने पूछा क्या पकौड़े तुमने खाए ?

मोनू एकदम बोल पड़ा - मैंने नहीं खाए और पेट पकड़कर कराहने लगा लेकिन अब मोनू की पोल खुल गई थी। मां ने पकौड़ों में मीठा सोडा ज्यादा डाला था जिससे मोनू का पेट खराब हो गया और अब उसके पास बनाने के लिए कोई बहाना नहीं था। आखिर उसने मां और सोनू से माफी मांगी और वायदा किया कि आगे से वह अपनी बुरी आदतें छोड़ कर अच्छा बच्चा बनने की पूरी कोशिश करेगा।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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