Inspirational Context: क्या आप भी चाहते हैं सच्ची खुशी ? इस प्रसंग में मिलेगा जवाब

punjabkesari.in Saturday, Sep 27, 2025 - 07:00 AM (IST)

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Inspirational Context: एक विदेशी पर्यटक भारत दर्शन के लिए आया। उसके मन में जिज्ञासा थी कि प्रसन्नता कैसे प्राप्त की जा सकती है? अपनी इस जिज्ञासा के समाधान के लिए वह एक विख्यात संत के पास पहुंचा।

पर्यटक के पास एक बड़ा बैग था जिसमें उसके कपड़े, रुपए, पैसे तथा जरूरत का अन्य सामान था। थोड़ी देर पर्यटक से बातचीत करने के बाद संत ने एकाएक उस पर्यटक का बैग छीन लिया तथा तेजी से भागे। आगे-आगे संत तथा पीछे-पीछे वह पर्यटक। संत तेजी से भाग रहे थे, पर्यटक उतनी तेजी से उनका पीछा नहीं कर पाया। अंतत: संत अदृश्य हो गए। निराश पर्यटक पछताने लगा कि कहां फंस गया। आए थे प्रसन्नता की खोज में और अपने सामान से भी हाथ धोना पड़ा। कुछ ही क्षणों में संत वापस आए। पर्यटक को उसका बैग वापस किया। पर्यटक ने अपने रुपए-पैसे और बाकी सामान संभाला तथा प्रसन्न हो गया।

संत ने कहा, ‘‘जब तुम किसी वस्तु की कामना करते हो तथा वह वस्तु तुम्हें मिल जाती है तब तुम प्रसन्न हो जाते हो।’’

पर्यटक ने सहमति में सिर हिलाया।

थोड़ी देर बाद संत ने प्रश्न किया, ‘‘इसके पहले जब तुम्हारे पास तुम्हारा बैग था, क्या उस समय तुम प्रसन्न नहीं थे ? अब जब बैग तुम्हें वापस मिल गया है, तब क्या तुम हमेशा प्रसन्न रह सकते हो ?’’

पर्यटक ने महसूस किया कि भौतिक वस्तुओं से, भौतिक उपलब्धियों से प्राप्त प्रसन्नता अस्थायी है। इनसे वंचित होने पर हम अप्रसन्न हो जाते हैं, परंतु इन्हें प्राप्त करने पर भी हमारी प्रसन्नता में स्थायित्व नहीं आता।

संत ने पर्यटक की जिज्ञासा का समाधान करते हुए कहा, ‘‘नि:संदेह प्रसन्नता और अप्रसन्नता मानव मन की दो स्थितियां हैं जो प्राप्ति और अप्राप्ति पर आधारित हैं परंतु यदि तुम वास्तव में प्रसन्नता की खोज में हो तो तुम्हें अपने में समभाव विकसित करना होगा। पाने पर खुशी नहीं और छिन जाने पर गम नहीं। प्रसन्नता का यही रहस्य है।’’ 


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Content Editor

Prachi Sharma

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