Inspirational Context: दहेज हो तो ऐसा...

punjabkesari.in Tuesday, Aug 20, 2024 - 11:29 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Inspirational Context: एक बार पं. मदन मोहन मालवीय के पास एक धनी सेठ अपनी कन्या के विवाह का निमंत्रण-पत्र देने आया। संयोग से जिस युवक के साथ उनकी कन्या का विवाह होने वाला था, वह मालवीय का शिष्य था।

मालवीय ने सेठ से कहा, “प्रभु की आप पर कृपा है। सुना है कि आप इस विवाह पर लाखों रुपए खर्च करने वाले हैं। इससे धन प्रदर्शन आदि में व्यर्थ ही चला जाएगा।

PunjabKesari Inspirational Context

वह राशि आप हमें ही दहेज में दे दें ताकि इससे हिन्दू विश्वविद्यालय के निर्माण का शेष कार्य पूरा हो सके। लड़के का गुरु होने के नाते मैं यह दक्षिणा लोकमंगल के कार्य के लिए आपसे मांग रहा हूं।”

मालवीय के इस कथन का उस सेठ पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने विवाह में ढेर सारा खर्च करने का अपना विचार बदल दिया।

उन्होंने अत्यन्त सादगी से न केवल आदर्श विवाह किया अपितु विश्वविद्यालय में अनेक भवन भी बनवा दिए। लोगों ने भी कहा, “दहेज हो तो ऐसा।”

PunjabKesari Inspirational Context

प्रसंग का सार यह है कि निंदा का केंद्र बनी हुई दहेज जैसी कुप्रथा को भी मालवीय की जनहित की पवित्र भावना ने एक नया ही रूप प्रदान किया।

शादियों में लाखों रुपए खर्च करने वाले व लाखों रुपए वर या वधू पक्ष को दहेज में देने वाले लोग यदि इन कार्यों को सादगी से सम्पन्न कर उसी धन को समाजसेवा के कार्य में लगाएं तो समाज का निश्चित ही भला होगा।

PunjabKesari Inspirational Context


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Prachi Sharma