Inspirational Context: झूठ ही है दुनिया का सबसे बड़ा सच, जानें कैसे
punjabkesari.in Saturday, Nov 11, 2023 - 07:16 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Inspirational Context: महासंतों ने तो बार-बार कहा है पर आपने सुना नहीं इसलिए कहना पड़ रहा है- झूठ बराबर तप नहीं, सांच बराबर आंचमित्रो, झूठ की महिमा अपरंपार है। आज तक कोई ऐसा नहीं हुआ, जिसने झूठ न बोला हो। सबके मुंह से झूठ निकलता है, सब झूठ बोलते हैं। सच बोलने के लिए सौ नाटक करने पड़ते हैं। कसम खाओ, सौगंध लो, शपथ उठाओ, गले पर या दिल पर हाथ रखो। झूठ बड़ी सहजता से भीतर से बाहर आता है। उसकी तरलता, सरलता देखने योग्य होती है। कहते हैं कि बहस करने वालों को झूठ का लाइसेंस मिला होता है इसीलिए वहां बोलने से पहले उनसे किसी धर्मग्रंथ पर हाथ रख कर शपथ नहीं दिलवाई जाती। एक ने तो सच्ची कसम खाकर यह सच बात बताई कि सच के पांव नहीं होते। उसे जब तक झूठ के पांव नहीं लगाए जाते, वह चलता ही नहीं। सच को सच साबित करने के लिए बहुत झूठ बोलना पड़ता है। सच का गुलगुला झूठ की चाशनी में डुबोने पर ही न्याय के गले उतरता है।
नेताओं को ही लीजिए। एक पार्टी वाला कुछ कहेगा तो उसका विरोधी तुरंत कह देगा, यह झूठ बोल रहा है। एक पार्टी अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी करती है, तो सामने वाली पार्टी उसे बिना पढे़, बिना सुने झूठ का पुलिंद बता देती है। एक-दूसरे का बजट झूठा, श्रेय लेना झूठा, आरोप लगाना झूठा।
क्यों ? क्योंकि सत्य की बजाय झूठ की महिमा अपरंपार होती है इसलिए कोई नेता यह बर्दाश्त नहीं करता कि कोई उन पर सच्चा आरोप लगाएं। सब चाहते हैं, झूठे आरोप लगते रहें, प्रचार मिलता रहे। लेखक लोग एक-दूसरे को महान बताते भी हैं और उसकी महानता को झूठा भी बताते हैं, इसके लिए सही जगह, पीठ पीछे मानी गई है।
दुनिया भर में राजधानियों में कुछ सदन होते हैं, जो केवल बहस के लिए स्थापित होते हैं। वहां इधर वाले अपनी तारीफ करते हैं और उधर वाले उनकी निंदा। तारीफ और निंदा में जितना ज्यादा झूठ होता है, वह उतनी ज्यादा असरदार और रसदार होती है। कई वहां झूठ बोलना भूल जाते हैं। तब उन्हें अपना बोला हुआ वापस लेना पड़ता है। सच बोलने वाले का वहां कोई साथ नहीं देता, झूठ बोलने वाले के समर्थन में पचास खड़े हो जाते हैं, शोर मचाना शुरू कर देते हैं। सत्य हमेशा अल्पमत होता है। बहुमत तो झूठ के पास होता है। कौन बनेगा करोड़पति में और कई परीक्षाओं में ऐसे प्रश्न होते हैं कि उनके साथ चार उत्तर होते हैं जिनमें से एक सच्चा बाकी झूठे। हुआ न झूठ का बहुमत ! आप किसी सत्ता वंचित से किसी भी युग में पूछ लें, यही कहेगा कि बहुमत वाले सभी झूठे हैं। झूठ वाला ही सरताज होता है।
एक पुरानी फिल्म में गाया भी गया है- सैयां झूठों का बड़ा सरताज निकला। कितने ही महानुभाव होते हैं जो शांति के नाम पर कबूतर उड़ाते हैं और फिर उन्हीं हाथों से पैन चला कर बम फोड़ने, मिसाइल चलाने के आदेश देते हैं। यह झूठ काफी परिष्कृत होता है और सभी देशों द्वारा मान्यता प्राप्त होता है। देशों के पास अपने-अपने राजनयिक, कूटनीतिज्ञ, जासूस, विश्लेषक होते हैं। इन पेशों में वही सफल होता है, जिसके पास झूठ का अनंत भंडार हो और इसे झूठ रूप में पेश करने की कला हो। सोशल मीडिया के अस्तित्व में आने के समय से ही झूठ की महिमा बढ़ रही है और बढ़ती रहेगी। इतिहास और इतिहासकार तो झूठे ही होते हैं। यह मैं नहीं कहता, यह खुद इतिहासकार ही कहते हैं कि दूसरे का लिखा इतिहास झूठा है, सच्चा तो वह है जो मैंने लिखा है। उस सच्चे को भी झूठा साबित कर दिया जाता है।
इतिहास लिखने वाले तो कभी के ऐतिहासिक हो गए। आजकल तो लोग उसका मंतव्य अपनी मर्जी से निकाल कर एक-दूसरे को झूठा-झूठा कह रहे हैं, लिख रहे हैं। सत्य किसे कहा जाता है ?
अपने सच बोलने को नहीं कहा जाता बल्कि दूसरे के बोले झूठ को साबित करने को कहा जाता है। सत्य बोलने वाले पिटते देखे हैं। उन्हें तीर, तलवार, क्रास, जहर को भुगतना पड़ता है, इसीलिए तो कहते हैं- सांच को आंच ही आंच...। वैसे झूठ पकड़ने की कवायद पर पुलिस, अदालत, अन्वेषकों के माध्यम से अपार फिजूलखर्ची की जाती है। झूठ शाश्वत सत्य है। झूठ को नकारना ही सबसे बड़ा झूठ है। झूठ बड़ा कीमती होता है इसीलिए महात्मा लोग झूठ न बोलने का उपदेश देते हैं यानी कीमती चीजों से मोह मत करो। हम यही तो करते हैं। बच्चों के पीछे पड़े रहते हैं कि सच बोलो, सच बोलो। सच के साथ रहो। झूठ क्यों नहीं ? क्योंकि झूठ बहुत कीमती होता है।
झूठ के बिना आप किसी भी रूप में सफल नहीं हो सकते। प्रेमी तो किसी भी हालत में नहीं। यह झूठ ही होता है जो आपके और आपकी प्रेमिका के मध्य अटूट नामक सीमैंट की आपत्ति करता है। पति भी वही देव होते हैं, जो बढ़ियां झूठ का इस्तेमाल करना जानते हैं। पत्नी झूठ पकड़ने की मशीन होती है। सफल पति वही कहलाता है, जो इस मशीन की परीक्षा में पास होता रहे।
क्या किसी को बिना झूठ के अमीर होते देखा है ? अमीर तो अमीर, आजकल गरीब भी बिना झूठ के नहीं हुआ जाता। देश में गरीबों को कई किस्म के दर्जे हासिल है। जैसे बी.पी.एल. वगैरह। इन किस्मों का गरीब बनने के लिए कई किस्म के प्रमाण पत्र लेने-देने होते है। शपथ पत्र देने होते हैं। कइयों को केवल झूठ के सहारे गरीब होते देखा है।
सरकारी माल मुफ्त लेने के लिए अपने बारे में दस किस्म के झूठ बताने पर ही काबिल गरीब माना जाता है। एक भी झूठा प्रमाण कम हुआ तो आप काबिल नहीं, रईस माने जाएंगे। फिर आप चाहे कितने ही रोटी-कपड़ा-मकान से वंचित हों, दंगल करते रहें, गरीबी का हक नहीं मिलेगा। आपको ये सब बताने का मेरा उद्देश्य यह नहीं है कि आप झूठ बोलें। वह तो आपका अधिकार है। पर आप मेरा ख्याल भी रखें। झूठ बोलने के मेरे अधिकार की रक्षा में मेरा सच्चा साथ दें।