Inspirational Concept: आ अब लौट चलें...
punjabkesari.in Tuesday, Aug 02, 2022 - 02:06 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक राज्य में एक राजा रहता था जो बहुत घमंडी था। घमंड के चलते आसपास के राज्य के राजाओं से भी उसके संबंध अच्छे नहीं थे। उस गांव से एक साधु गुजर रहे थे उन्होंने भी राजा के बारे में सुना और राजा को सबक सिखाने की सोची। साधु तेजी से राजमहल की ओर गए और बिना प्रहरियों से पूछे सीधे अंदर चले गए। राजा ने देखा तो वह गुस्से में भर गया।
राजा बोला, यह क्या उदण्डता है महात्मा जी, आप बिना किसी की आज्ञा के अंदर कैसे आ गए? साधु ने विनम्रता से उत्तर दिया, ‘‘मैं आज रात इस सराय में रुकना चाहता हूं।’’ राजा को यह बात बहुत बुरी लगी वह बोला, ‘‘महात्मा जी यह मेरा राज महल है कोई सराय नहीं, कहीं और जाइए।’’ साधु ने कहा, राजन, तुमसे पहले यह राजमहल किसका था? राजा, ‘‘मेरे पिता जी का।’’ साधु, ‘‘तुम्हारे पिता से पहले यह किसका था?’’ राजा, ‘‘मेरे दादा जी का।’’
साधु ने मुस्कुरा कर कहा, ‘‘राजन, जिस तरह लोग सराय में कुछ देर रहने के लिए आते हैं वैसे ही यह तुम्हारा राजमहल भी है, जो कुछ समय के लिए तुम्हारे दादाजी का था, फिर कुछ समय के लिए तुम्हारे पिता जी का था, अब कुछ समय के लिए तुम्हारा है, कल किसी और का होगा।
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यह राजमहल जिस पर तम्हें इतना घमंड है यह एक सराय ही है जहां एक व्यक्ति कुछ समय के लिए आता है और फिर चला जाता है।’’
साधु की बातों से राजा इतना प्रभावित हुआ कि सारा राजपाट, मान-सम्मान छोड़ कर साधु के चरणों में गिर पड़ा और महात्मा से क्षमा मांगी और फिर कभी घमंड न करने की शपथ ली। इसी तरह यह दुनिया एक सराय के समान है जहां कुछ लोग रोज आते हैं और कुछ लोग रोज जाते हैं। अच्छी सोच रखें, अच्छे काम करें क्योंकि इस सराय से एक दिन सबको चले जाना है।