ऐसी दशा में सारी आमदनी खर्च हो जाएगी तथा हाथ में एक पैसा भी नहीं बचेगा

punjabkesari.in Tuesday, Jan 24, 2017 - 04:05 PM (IST)

केवल किताबी ज्ञान से कुछ नहीं होता मानवीय संवेदनाओं से युक्त व्यावहारिक ज्ञान भी आवश्यक है, व्यर्थ की तोड़-फोड़ से कुछ नहीं होता। बड़े धैर्य और सूक्ष्मता के साथ भवन एवं उद्योगों का निरीक्षण करना चाहिए किसी भी प्रकार के वाद-विवाद झगड़े या न्यायालय संबंधी कागजात सदैव ईशान में ही रखें। अग्रि कोण में भूलकर भी नहीं रखें अन्यथा विवाद बढ़ेगा। हार की संभावना रहेगी। ईशान कोण में वास्तु संबंधी त्रुटि हो और शेष सभी दिशाओं में वास्तु संबंधी सभी विशेषताएं भले ही समाहित हों तो भी उस उद्योग, फैक्टरी व मकान का विकास नहीं होगा। ऐसी दशा में सारी आमदनी खर्च हो जाएगी तथा हाथ में एक पैसा भी नहीं बचेगा केवल श्रम मात्र ही बचेगा। लाखों, करोड़ों की आवक और इतना ही खर्च व चहल-पहल दिखाई देने पर भी बैलेंस शीट में ही लाभ दिखेगा पर मिलेगा नहीं।


दक्षिणमुखी मकान में रहने वाला व्यक्ति संपन्न तो होता है, किंतु संतान सुख से वंचित रहता है या तो संतान होती ही नहीं या उससे दूर रहती है। यदि राजमार्ग सीधा घर में प्रवेश कर रहा हो, द्वार वेध हो तो खिड़की के बाहर दर्पण लगा दें। चीन, जापान में यही परम्परा है।


कांच वास्तु संबंधी दुष्प्रभाव के अभिशाप को वापस लौटाने की क्षमता रखता है। यदि घर में अंधेरे में भूत, प्रेत, बुरी आत्मा का भय रहता है तो वास्तु नियम के अनुसार पूर्व या ईशान में रोशनी स्थायी रूप से लगा दें तो इससे घर में दैविक शक्ति प्रतिपल जागृत रहती है। मुख्य द्वार पर केले का पेड़ और तुलसी का पेड़ लगाने से शीघ्र उन्नति होती है।
दाडि़म का पौधा रवि पुष्प या गुरु पुष्प में श्रीसूक्त से अभिमंत्रित कर पूजन करके लगाया जाता है तो रुपयों की कमी नहीं आती, लक्ष्मी वहां निवास करती है, मकान शीघ्र बन जाता है। 


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