नवरात्रि पर्व से जुड़ी हैं ये कथाएं, आप भी जानें इससे देवी पूजा का महत्व

punjabkesari.in Thursday, Oct 08, 2020 - 05:54 PM (IST)

शस्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जैसे कि सब जानते हैं कि 17 अक्टूबर से इस साल के शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो जाएंगे। सनातन धर्म में इसका अधिक महत्वपूर्ण। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के 9 दिनों में देवी दुर्गा के साथ-साथ उनके नौ विभिन्न रूपों की आराधना करने का विधान हैं। मगर बहुत से लोग जिन्हें इनकी पूजन का महत्व नहीं पता। खासतौर पर नवरात्रि का क्या महत्व, और इन्हीं दिनों में इनकी पूजा इतनी लाभदायक व फलदायक हो जाती है।। तो चलिए आपको बता देते हैं कि आखिर इसका क्या महत्व है।
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नवरात्रि का महत्व बताने से पहले आपके लिए जानना अधिक जरूरी है कि 1 साल में कुल 4 बार नवरात्रि पर्व आता है। जिसमें से 2 गुप्त नवरात्रि पड़ते हैं, एक बार चैत्र नवरात्रि तथा एक शारदीय नवरात्रि। प्रत्येक वर्ष पितृ पक्ष के समापन के साथ ही नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। मगर प्रत्येक तीन साल बाद जब अधिक मास लगने के कारण इसे आने में देरी हो जाती है। इन नवरात्रों को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। यानि पुरुषोत्म मास में यानि अधिक मास में आने वाले नवरात्रों को शारदीय नवरात्र कहा जाता है। जो इस बार  17 अक्टूबर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक मनाए जाएंगे। चलिए जानते हैं इससे जुड़ी जानकारी-

यूं तो कहा जाता है मां दुर्गा की आराधना करने के लिए किसी खास दिन की आवश्यकता नहीं होती। मगर बात करें नवरात्रि पर्व की तो, इसका महत्व अधिक माना जाता है। अगर इससे जुड़े प्रकृति कारण की ओर नज़र डाली जाए तो कहा जाता है कि इस समय मौसम परिवर्तित होता है, जिस कारण इस दौरान व्रत रखने से शरीर को ऋतु के अनुसार ढलने का समय मिल जाता है, जिससे व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा हो जाता है।

पौराणिक महत्व-
बता दें नवरात्रि पर्व से जुड़े दो कथाएं पड़ने सुनने को मिलती है।, जिसमें एक रामनवमी से संबंधित है, तो वहीं एक कथा महिषासुर से जुड़ी हुई है।

अगर महिषासुर से संबंधित कथा की बात करें तो इसके अनुसार महिषासुर नामक राक्षस था ब्रह्मदेव जी का उपासक था। जिसने अपने तप के बल पर ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था कि कोई मनुष्य, देवता या दानव कभी उसका अंत न कर पाए। इसी वरदान के चलते वह निर्दयता से तीनों लोकों में आतंक मचाने लगा। उसके अत्याचारों से सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि परेशान हो गए।
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उसके बढ़ते अत्याचारों को बढ़ते देख सृष्टि के रचियता ब्रह्मा, पालनकर्ता विष्णु और देवों के देव महादेव ने अपनी शक्तियों को एक साथ करके मां दुर्गा को उत्पन्न किया।

कथाओं के मुताबिक देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच पूरे नौ दिनों तक युद्ध चला। जिसके अंतस में देवी दुर्गा ने उस राक्षस का अंत किया।

इससे जुड़ी अन्य कथा की मानें तो श्री राम जी लंका पर आक्रमण करने से पहलेस तथा रावण से युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए मां भगवती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूरे नौ दिनों तक देवी मां की पूजा आराधना की थी। यही कारण है कि नवरात्रि के बाद दशहरा (विजयदशमी) का त्यौहार अच्छाई की बुराई पर जीत के रुप में मनाया जाता है।
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Jyoti

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