क्या आप जानते हैं बम बम भोले मंत्र का महत्व?
punjabkesari.in Wednesday, Jul 28, 2021 - 02:53 PM (IST)
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श्रावण मास में जहां एक तरफ भगवान शंकर की पूजा अर्चना की जाती है तो वहीं दूसरी और इनके भक्त कावड़ यात्रा करते हैं। हालांकि इस बार भी कोरोना के चलते कावड़ यात्रा नहीं की गई। परंतु हर वर्ष देश के विभिन्न कोनों में कावड़ यात्रा का नजारा देखने को मिलता है। कावड़ यात्रा की सबसे मनमोहक बात होती है इस दौरान लगाए जाने वाला जयकारा। जी हां अक्सर देखा जाता है कि श्रावण मास में जब शिव जी के भक्त कावड़ यात्रा करते हैं तो इस दौरान वह "बोल बम बम" के जयकारे लगाते हुए अपने कदम आगे बढ़ाते हैं। परंतु क्या आप में से कोई यह जानता है कि आखिर कावड़िए अपनी यात्रा के दौरान "बम बम भोले" या "बोल बम बम" का जयकारा ही क्यों लगाते हैं अगर आप इस बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे द्वारा दी जाने वाली आगे की जानकारी ध्यान से जरूर पढ़ें।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार शिव जी पर्वत जंगल और श्मशान वासी माने जाते हैं। यह बैरागी का रूप धारण कर इधर-उधर भ्रमण करते हैं। या किसी पर्वत या वृक्ष के नीचे ध्यान लगाते हैं। ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि इनके गण भी कई प्रकार के हैं कोई भूत प्रेत है तो कोई पिशाच कोई तांत्रिक है तो कोई देवता कहने का भाव यह है कि भगवान शंकर देवताओं के साथ-साथ असुरों के भी ईष्ट माने जाते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए किसी भी विशेष मंत्र पूजन या वाद्य यंत्र की आवश्यकता नहीं पड़ती है। कहा जाता है जहां एक तरऋ़ सनातन धर्म के अन्य देवी- देवताओं की प्रसन्न करने के लिए शंख, नगाड़ा, मृदंग, भेरी, घंटी, आदि जैसे वाद्य की आवश्यकता पड़ती है, उसके विपरीत शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए केवल गाल बजाकर "बम बम भोले" या "बेल बम बम" या "भोले शंकर" का जाप करते हुए साष्टांग दंडवत किया जा सकता है।
जी हां, शिव पुराण के अनुसार जातक को शिव पूजन के अंत में समस्त प्रकार की सिद्धियों के दाता भगवान शिव को गले की आवाज यानी मुख्य बाद से ही संतुष्ट करना चाहिए जिसमें बोल ब।म बम या बम भोले का उच्चारण करना चाहिए।
इससे जुड़े एक प्रसंग के अनुसार एक बार माता पार्वती को अपने स्वरूप का ज्ञान करवाते हुए भगवान शंकर ने कहा था :प्रणव अर्थात ओम ही वेदों का सार और मेरा स्वरूप है। ओंकार मेरे मुख से उत्पन्न होने के कारण मेरे ही स्वरूप को दर्शाता है। यह मंत्र मेरी आत्मा है इसका समरण करने से मेरा समरण होता है। मेरे उत्तर की ओर मुख से आकार,पश्चिम की ओर मुख से उपकार, दक्षिण के मुख से मकार, पूर्व के मुख से बिंदु और मध्य के मुख से नाद उत्पन्न हुआ है। इस प्रकार यह मेरे पांचों मुख से निकले हुए इन सब से एक अक्षर ओम बना।"
मान्यताओं के अनुसार "बम बम" शब्द प्रणव का ही एक सरल रूप है, जिस कारण भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए इसका उच्चारण किया जाता है। खासतौर पर कावड़ यात्रा के दौरान शिवभक्त यानि कावड़िए बम बम भोले के जयकारे लगाते हुए अपनी यात्रा पूर्ण करते हैं।