इस एक राह पर चलेंगे तो बड़ी से बड़ी मुश्किल होगी दूर

punjabkesari.in Sunday, Mar 11, 2018 - 03:00 PM (IST)

महान संत जफर सादिक के पास दूर-दूर से लोग विचार-विमर्श करने के लिए आते थे। एक बार ऐसे ही विचार-विमर्श दौरान प्रश्र उठा कि अक्लमंद व्यक्ति की सही पहचान क्या है? सभी सोच में पड़ गए और अपनी-अपनी तरह से जवाब देने लगे। किसी ने कहा, ‘जो सोच-समझ कर बोले वह अक्लमंद है।’ इस पर संत सादिक बोले, ‘अपनी समझ से तो हर व्यक्ति सोच-समझ कर ही बोलना चाहता है, मगर हमेशा ऐसा नहीं होता। ऐसे में उन सभी को अक्लमंद नहीं कहा जा सकता। अक्लमंद तो कुछ लोग ही होते हैं और उनकी पहचान भी कुछ खास ही होती है।’


संत सादिक का यह जवाब सुनकर सभी गहरी सोच में पड़ गए। तभी उनमें से एक बोला, ‘नेकी और बदी में फर्क कर पाना अक्लमंद का काम है।’ सादिक बोले, ‘नेकी 
और बदी का फर्क इंसान ही नहीं जानवर तक समझते हैं। तभी तो जो उनकी सेवा करते है, वे उन्हें नुक्सान नहीं पहुंचाते हैं। यह सुनकर सबकी बोलती बंद हो गई। अब किसी को कोई जवाब नहीं सूझ रहा था कि अक्लमंद व्यक्ति की पहचान कैसे हो।’


कुछ देर बाद व्यक्ति बोला, ‘हुजूर अब आप ही अक्लमंद व्यक्ति की पहचान बताइए।’ संत मुस्कुराते हुए बोले, ‘अक्लमंद वह है जो 2 अच्छी बातों में यह जान सके कि ज्यादा अच्छी बात कौन-सी है और 2 बुरी बातों में यह जान सके कि ज्यादा बुरी कौन-सी है। अच्छी व बुरी बातों में पहचान करने के बाद यदि उसे अच्छी बात बोलनी हो तो वह बात बोले जो ज्यादा अच्छी हो और यदि बुरी बोलने की लाचारी पैदा हो जाए तो वह बात बताए जो कम बुरी हो। इस तरह वह बड़ी बुराई से बचे।’ यह बात सुनने में बेशक मामूली लग रही हो पर यदि इंसान इस राह पर चले तो वह न सिर्फ अक्लमंद कहलाएगा बल्कि बड़ी से बड़ी मुसीबत टालने में भी कामयाब हो जाएगा।


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