परिक्रमा की ये 3 प्रकार जान लिए तो पलों में सौभाग्य में बदलेगा दुर्भाग्य
punjabkesari.in Thursday, Dec 19, 2019 - 03:34 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आप हिंदू धर्म से संबंध रखते हैं? अगर आपका उत्तर हां है तो आप अच्छे से जानते होंगे कि देवी-देवताओं की पूजा के बाद इसमें परिक्रमा का अधिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार तो इसे प्रदक्षिणा कहा जाता है। मान्यता है भगवान की आराधना करने के बाद परिक्रमा करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं। यही कारण है मंदिर आदि जहां देवी-देवताओं मूर्तियां स्थापित होती हैं, के दाहिने हाथ के ओर से परिक्रमा करते हैं। अब आप सोच रहे होंगे ये आम बातें तो लगभग हर कोई जानता है। तो ज़रा धैर्य रखें क्योंकि हम आपके लिए इस बार इससे जुड़ी नई जानकारी लेकर आएं हैं। जी हां, हिंदू धर्म परिक्रमा करना आवश्यक है ये आप जानते हैं लेकिन इसे करने के तीन अलग प्रकार हैं जो यकीनन आप में से बहुत कम लोगों को पता होंगे। कहा जाता है इन तीन परिक्रमा को करने से व्यक्ति का दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है।
इन 3 की परिक्रमा से बदल जाता है भाग्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंदिरों या पवित्र स्थलों में दर्शन करने उपरांत नंगे पांव परिक्रमा करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन को असीम शांति मिलती है। धार्मिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में एक बार जब श्री गणेश और कार्तिक के बीच पृथ्वी का चक्कर लगाने की प्रतिस्पर्धा चल रही थी तब गणेश जी ने अपनी बुद्धि का प्रयोग कर पिता शिव शंकर एवं माता पार्वती के तीन चक्कर लगाए थे और संसार को यह शिक्षा प्रदान की थी कि माता पिता से बढ़कर संसार में कुछ नहीं है। जो मनुष्य अपने जन्म दाता माता-पिता एवं जीवन को सही दिशा धारा देने वाले सदगुरु की परिक्रमा नित्य करता है उनके जीवन का बड़ा से बड़ा दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है।
इनकी इतनी परिक्रमा करनी चाहिए
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रतिदिन जन्म देने वाले माता-पिता की 3 परिक्रमा करनी चाहिए।
किसी पवित्र यज्ञशाला की 5, 11 या 108 परिक्रमा करनी चाहिए।
हिंदू धर्म के लीलाधारी कहे जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण की 3 परिक्रमा करनी चाहिए।
देवी मां के मंदिर की 1 परिक्रमा करनी चाहिए।
भगवान विष्णु जी एवं उनके सभी अवतारों की 4 बार परिक्रमा करनी चाहिए।
श्री गणेशजी और हनुमान जी की तीन परिक्रमा करनी चाहिए।
शिवजी की आधी परिक्रमा करनी चाहिए, क्योंकि शिव जी के अभिषेक की धारा को लाघंना अशुभ माना जाता है।
परिक्रमा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान-
जिस देवी-देवता की परिक्रमा की जा रही है, मन ही मन उनके मंत्रों का जप करना चाहिए, इस दौरान परिक्रमा करते समय मन में बुराई, क्रोध, तनाव जैसे भाव नहीं होना चाहिए, परिक्रमा नंगे पैर ही करनी चाहिए, इस दौरान मन शांत होना चाहिए। संभव हो तो परिक्रमा करते समय तुलसी, रुद्राक्ष आदि की माला पहन लें।