होलाष्टक: लूट लो छप्पर फाड़ लाभ, आने वाले 8 दिन हैं बड़े खास

punjabkesari.in Thursday, Mar 14, 2019 - 12:34 PM (IST)

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कामदेव प्रेम और कामुकता के देवता माने जाते हैं। मान्यता के अनुसार भगवान शंकर की तपस्या भंग करने का प्रयास करने पर कामदेव को महादेव ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को भस्म कर दिया था। इनके भस्म होने पर संसार में शोक की लहर फैल गयी थी। कामदेव की पत्नी रति ने महादेव से क्षमा याचना की और अपने पति कामदेव को पुनर्जीवन का आशीर्वाद दिया। रति को मिलने वाले इस आशीर्वाद के बाद होलाष्टक का अंत दुलहंडी को हुआ। होली से पहले के आठ दिन रति ने अपने पति कामदेव के विरह में काटे। जिसके कारण इन दिनों में कोई शुभ काम नहीं किया जाता है। सामान्य रूप से देखा जाए तो होली एक दिन का पर्व न होकर पूरे आठ दिन का त्योहार है।

PunjabKesariएक और धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने आठ दिन तक गोपियों संग होली खेली थी तथा दुलहंडी के दिन अर्थात होली को रंगों में सने कपड़ों को अग्नि के हवाले कर दिया, तब से आठ दिन तक यह पर्व मनाया जाने लगा। 

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PunjabKesariहोलाष्टक का आरम्भ हो गया है। 8 दिनों तक मन में उल्लास लाने और वातावरण को जीवंत बनाने के लिए लाल या गुलाबी रंग का प्रयोग विभिन्न तरीकों से करें। लाल परिधान मूड को गरमा देते हैं यानी लाल रंग मन में उत्साह उत्पन्न करता है। तभी तो उत्तर प्रदेश में होली का पर्व एक दिन नहीं अपितु 8 दिन मनाया जाता है।

PunjabKesariभगवान कृष्ण भी इन 8 दिनों में गोपियों संग होली खेलते रहे और अंतत: होली में रंगे लाल वस्त्रों को अग्नि को समर्पित कर देते थे। होली मनोभावों की अभिव्यक्ति का पर्व है जिसमें वैज्ञानिक महत्ता, ज्योतिषीय गणना, उल्लास, पौराणिक इतिहास और भारत की सुंदर संस्कृति है जब सब अपने भेदभाव मिटा कर एक हो जाते हैं।

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क्या करें- होलाष्टक के दिनों में भगवान विष्णु एवं भगवान के नरसिंह स्वरूप का पूजन विधिवत करना चाहिए। विष्णु सहस्त्रनाम और नरसिंह स्रोत का पाठ करना अधिक उत्तम है।

PunjabKesari इन दिनों में अपने कमजोर ग्रहों को शक्तिशाली बनाने के लिए विभिन्न रंगों की वस्तुओं से पूजन करना शुभफलदायक है।

PunjabKesariभगवान सूर्य के पूजन में कुमकुम, चन्द्रमा के लिए अवीर, मंगल के लिए चंदन एवं सिंदूर, बुध के लिए मेहंदी, बृहस्पति के लिए पीला केसर, पीला रंग अथवा हल्दी, शुक्र के लिए सफेद चंदन, माखन, मिश्री, दूध एवं दही, शनि के लिए नीले और काले रंग, राहु और केतू के लिए काले तिलों से पूजन करना चाहिए।

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Niyati Bhandari

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