Hell As Per Garuda Purana: गरुड़ पुराण से जानें, किन कर्मों के कारण भोगना पड़ता है नर्क
punjabkesari.in Sunday, Jun 08, 2025 - 02:35 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Hell As Per Garuda Purana: हिंदूओं का ग्रंथ गरुड़ पुराण जो पक्षीराज गरुड़ और भगवान विष्णु के बीच का संवाद है। इसमें बताया गया है कि स्वर्ग, नर्क, मृत्यु और यमलोक कैसा है और किस व्यक्ति को कैसे इन में स्थान मिलता है ?
भगवान विष्णु पक्षीराज गरूड़ को नरक के विषय में बताते हुए कहते हैं 84 लाख नर्क है जिनका भोग व्यक्ति को भोगना पड़ता है। 21 प्रमुख नर्क इस प्रकार हैं तामिस्र, लोहशंकु, महारौरव, शल्मली, रौरव, कुड्मल, कालसूत्र, पूतिमृत्तिक, संघात, लोहितोद, सविष, संप्रतापन, महानिरय, काकोल, संजीवन, महापथ, अविचि, अंधतामिस्र, कुंभीपाक, संप्रतापन और तपन।
इन नर्कों में अधर्मी और पापी व्यक्ति लाए जाते हैं। जिनको उनके कर्मों के अनुरूप लंबे समय तक नर्क की यातनाएं भोगनी पड़ती हैं। इन नर्कों में बहुत से यमदूत वास करते हैं, जो पापीयों को सजा के रूप में तरह-तरह की यातनाएं देते हैं।
गरूड़ पुराण के मतानुसार यमराज जब किसी व्यक्ति को नर्क में भेजने लगते हैं उससे पूर्व वे उसके द्वारा पृथ्वी पर किए गए कर्मों का हिसाब चित्रगुप्त के माध्यम से उसे बताते हैं बिल्कुल उसी तरह जिस तरह किसी अपराधी को जज सजा सुनाते हैं। फिर यमराज अपने दूतो चंड और प्रचंड को बुलाते हैं और उन्हें आज्ञा देते हैं कि व्यक्ति को कौन-कौन से नर्कों में लेकर जाना है। यमदूत व्यक्ति को एक पाश में बांधकर यमलोक से नर्क की ओर प्रस्थान करते हैं।
यमराज स्वयं की इच्छा से कुछ नहीं करते वह स्वयं भगवान श्री हरि और शिव शंभु के शासन सिद्धांतों का पालन करते हैं। शास्त्रों के अनुसार यम स्वभाव से कड़े और सख्त नहीं हैं। वे चाहते हैं की पृथ्वी वासी अच्छे कर्म करें और स्वर्ग में जाएं लेकिन अपने गुनाहों के कारण जब वे यमलोक में प्रवेश करते हैं तो वह बहुत क्रुद्ध होते हैं और अपना तीव्र एवं प्रचंड रूप दिखाते हैं।
उनकी काजल जैसी काली देह 12 योजन यानी 36 किलोमीटर की होती है। बहुत सी भुजाएं जिनमें उन्होंने यमदंड और बहुत से अस्त्र-शस्त्र पकड़े होते हैं। उनका वाहन भैंस है जिस पर बैठकर वह गुस्से से अपने लाल नेत्रों से पापी व्यक्ति को देखते हैं। चित्रगुप्त भी पापी व्यक्ति को देख प्रचंड रूप धारण कर लेते हैं। यमराज और चित्रगुप्त के भयानक रूपों को देखकर पापी व्यक्ति डर के मारे थर-थर कांपने लगता है।
नर्क के समीप ही शाल्मली का पेड़ है जोकि 20 कोस यानी करीब 40 किलोमीटर है और उसकी ऊंचाई एक योजन यानी करीब 12 किलोमीटर है। यह पेड़ आग जैसे दहकता है इसके साथ पापी व्यक्ति को बांधकर कठोर दंड दिया जाता है।
गरूड़ पुराण के मतानुसार जब कोई प्राणी केवल अपने और अपने कुटुंब का भरण पोषण करने के बारे में ही सोचता है अन्न-धन दान नहीं करता ऐसा व्यक्ति नर्क में स्थान पाता है।
कामवासना में रत महिला एवं पुरूष ऋतुकाल में अथवा पुण्य तिथियों पर संबंध बनाते हैं एवं परपरूष या स्त्री से मिलन करते हैं ऐसे कामांध लोगों को तामिस्र, अंधतामिस्र, रौरव नर्क की यातनाएं भोगनी पड़ती हैं।
भू-लोक पर जो व्यक्ति स्वयं के हित के लिए दूसरों को परेशान करता है अथवा दूसरों से दुश्मनी लेकर अहं भाव से सबसे अलग-थलग रहता है वह परलोक में भी सबसे अलग ही रहता है। जब उसे यातनाएं दी जाती हैं तो उसे बचाने वाला भी कोई नहीं होता।
कांटों, कील और पत्थरों से मार्ग अवरूद्ध करने वाले भी नर्क में जाते हैं। चोरी करना बहुत बड़ा पाप माना गया है। उसे ही अपनी आजीविका बनाने वाले कूप, तालाब, बावली, मंदिर और किसी के घरोंदें को विनष्ट करने वाले व्यक्ति को बहुत सारे नर्कों का भोग भोगना पड़ता है।
मृत्यु के उपरांत आत्मा कहां जाती है इस विषय पर कोई ठोस प्रमाण नहीं है क्योंकि विभिन्न धर्मों एवं विद्वानों द्वारा अलग अलग मत दिए गए हैं। शरीर त्यागने के उपरांत आत्मा का सफर बहुत ही रहस्यपूर्ण है। सनातन धर्म में वेदों पुराणों के अनुसार आत्मा शरीर को त्यागने के उपरांत स्वर्ग अथवा नरक में अपने कर्मों का फल भोगती है। इस्लाम के अनुसार बुरे कर्मों का फल दोजख में मिलता है और अच्छे कर्मों का फल जन्नत में प्राप्त होता है।