Hariyali Teej: आज मनाया जाएगा हरियाली तीज का पर्व, पढ़ें कुछ रोचक बातें

punjabkesari.in Saturday, Aug 19, 2023 - 07:34 AM (IST)

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Hariyali Teej 2023: उत्तर भारत की विवाहित महिलाओं के लोकप्रिय पर्वों में से एक है हरियाली तीज का त्यौहार। हरियाली तीज का उत्सव श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसे श्रावणी तीज, सिंधारा तीज व छोटी तीज के नाम से भी जाना जाता है। मुख्यत: यह स्त्रियों का त्यौहार है। भारत में इस समय वर्षा ऋतु होने के कारण, इस समय प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है, तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है। हरियाली तीज पर विवाहित महिलाएं नए कपड़े, गहने पहन कर अपने मायके और पीहर जाती हैं। महिलाएं पारम्परिक परिधान और पूर्ण श्रृंगार धारण कर समूह में लोक गीतों को गा-गाकर झूले का आनंद लेती हैं।

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हरियाली तीज या श्रावणी तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हरियाली तीज जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। सावन के महीने में जब संपूर्ण धरा पर हरियाली की चादर बिछी रहती है, प्रकृति के इस मनोरम क्षण का आनंद लेने के लिए महिलाएं झूले झूलती हैं, लोक गीत गाकर उत्सव मनाती हैं। हरियाली तीज के अवसर पर देशभर में कई जगह मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी धूमधाम से निकाली जाती है। सुहागन स्त्रियों के लिए हरियाली तीज पर्व बहुत मायने रखता है। सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

सावन के महीने में तीज पर झूले डालते हैं, जो मौसम के मिजाज में जोरदार तड़का लगाते हैं। हरियाली तीज के बाद हरतालिका तीज आती है। तीज के दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। कुछ महिलाएं इस दौरान निर्जला व्रत रखती हैं। माना जाता है कि यह व्रत करवा चौथ के व्रत से भी ज्यादा मुश्किल होता है। इस व्रत में पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगभग 30 घंटे तक भूखी रहती हैं।

Traditions on Hariyali Teej हरियाली तीज पर होने वाली परंपरा
नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के बाद पड़ने वाले पहले सावन के त्यौहार का विशेष महत्व होता है। हरियाली तीज के मौके पर लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है। हरियाली तीज से एक दिन पहले बेटियों-बहनों के ससुराल सिंधारा भेजा जाता है। जिसमें वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी, फल और मिठाई का शगुन होता है।

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इस दिन मेहंदी लगाने और लाल-हरी चूड़ियां पहनने का विशेष महत्व है। महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर तरह-तरह की कलाकृतियों में मेहंदी लगाती हैं। इस दिन पैरों में आलता भी लगाया जाता है। यह महिलाओं की सुहाग की निशानी है।
हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियां सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। यदि सास न हो तो जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को दी जाती है। इस दिन महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा करती हैं। हरियाली तीज पर महिलाएं व युवतियां खेत या बाग में झूले झूलती हैं और लोक गीतों पर नाचती-गाती हैं।

Hariyali Teej Puja vidhi हरियाली तीज पूजा विधि
शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है। इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। हरियाली तीज की पूजा विधि इस प्रकार है-

इस दिन घर को साफ-सफाई करके तोरण-मंडप से सजायें। एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमाएं बनाएं।
मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें।
हरियाली तीज व्रत का पूजन रात भर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं।

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There is a tradition of sacrifice three things on Hariyali Teej- हरियाली तीज पर तीन बातों को त्यागने की परंपरा है-
हरियाली तीज पर हर महिला को तीन बुराइयों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए। ये तीन बातें इस प्रकार है...
पति से छल-कपट
झूठ व दुर्व्यवहार करना
परनिंदा (दूसरों की बुराई करने से बचना)

Mythological Significance of Hariyali Teej हरियाली तीज का पौराणिक महत्व
हिंदू धर्म में हर व्रत, पर्व और त्यौहार का पौराणिक महत्व होता है और उससे जुड़ी कहानियां व कथाएं भी होती हैं। हरियाली तीज उत्सव को भी भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या और 108वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। तभी से ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया था। हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

What is Hariyali Teej हरियाली तीज क्या है ?
तीज त्यौहार हिंदू धर्म में सबसे शुभ और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। हरियाली तीज उत्सव अविवाहित और विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। इस हिन्दू त्योहार को लोकप्रिय रूप से सावन तीज, सिंधारा तीज भी कहा जाता है। यह देवी पार्वती और भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है। इसे उत्तर भारतीय चंद्र महीने (श्रवण माह) में पहले पखवाड़े के तीसरे दिन मनाए जाने का विधान है। कुछ विशिष्ट उपवास नियम और पूजा-विधि को हरियाली तीज उत्सव के लिए पालन करने की आवश्यकता है। मंत्रों और श्लोकों का उच्चारण भी देवी पार्वती और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आवश्यक है।

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Why is Hariyali Teej celebrated हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है ?
तीज त्यौहार एक भव्य त्यौहार है, जो मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में मनाया जाता है। बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में महिलाएं बहुत खुशी और भक्ति के साथ त्यौहार का स्वागत करती हैं। हरियाली तीज या सिंधारा तीज देवी पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। देवो को खुश करने के लिए भक्त इस पवित्र दिन पर उत्सव रखते हैं। हिन्दू ज्योतिषियों के अनुसार यह त्योहार देवी पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन का उत्सव माना जाता है। 108 जन्मों की लंबी अवधि के बाद और देवी पार्वती की महान तपस्या और प्रार्थनाओं की वजह से, भगवान शिव ने आखिरकार देवी पार्वती को हरियाली तीज के शुभ दिन पर अपनी पत्नी के रूप में मान्यता दी। जो इस दिन को हिंदू संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण बना देता है।

इस सावन तीज (हरियाली तीज) पर महिलाएं एक सफल विवाहित जीवन और वैवाहिक आनंद के लिए देवी पार्वती की पूजा, आरती करती हैं और प्रार्थना करती हैं। महिलाएं इस दिन हरियाली तीज व्रत को अपने पतियों के कल्याण, अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए रखती हैं।

शुष्क और गर्मी के अंत के बाद, हरियाली तीज पृथ्वी के नए और मोहक दिखने का उत्सव है। तीज महोत्सव पर विवाहित महिलाएं अपने माता-पिता के घर जाती हैं, नए कपड़े पहनती हैं और एक नई दुल्हन की तरह तैयार होती हैं। कुछ स्थानों पर महिलाएं झूलों  का आनंद भी लेती हैं।

What is Sindhara in Hariyali Teej हरियाली तीज में सिंधारा क्या है ?
सिंधारा वो उपहार होते हैं, जो माता-पिता द्वारा उनकी बेटी और उनके ससुराल वालों को दिए जाते हैं। इसमें चूड़ियां, हीना, घेवर (मीठे) आदि जैसी विभिन्न चीजें शामिल होती हैं। हरियाली तीज इस दिन विवाहित महिलाओं को दी गई पेशकश (सिंधारा) के कारण सिंधारा तीज के रूप में भी प्रसिद्ध है।

Pooja Gupta Spatu

Astro Counselor

Poojagold458@gmail.com

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Content Writer

Niyati Bhandari

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