Hariyali Teej 2021: बहुत शुभ है इस बार की ‘हरियाली तीज’
punjabkesari.in Monday, Aug 09, 2021 - 09:27 AM (IST)

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Hariyali Teej 2021: तीज पर्व को श्रावणी तीज भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव तथा पार्वती जी का पुनर्मिलन हुआ था। इसीलिए इस दिन भी महिलाएं पति की दीर्घायु एवं सुखमय गृहस्थ जीवन के लिए निर्जल व्रत रखती हैं और पार्वती जी को,शृंगार की हरी वस्तुएं अर्पित करती हैं। यों तो शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 अगस्त, मंगलवार की सायं 6 बजे आरंभ हो जाएगी और बुधवार 11 अगस्त शाम 4.53 बजे तक रहेगी परंतु तीज का व्रत 11 अगस्त को ही रखा जाएगा। जो पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में पड़ने के कारण इस बार अत्यंत शुभ है। इस दिन रवि योग भी प्रात: साढ़े 9 बजे से पूरे दिन रहेगा। यही नहीं, इस दिन विजय मुहूर्त भी दोपहर अढ़ाई बजे से साढ़े तीन बजे तक रहेगा। यदि आप राहू काल का विचार करते हैं तो यह दोपहर साढ़े 12 बजे से लेकर 2 बजे तक रहेगा।
Importance of hariyali teej पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक महत्व
मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए। कठोर तप के बाद 108वें जन्म पर उन्हें भगवान शिव ने पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत का चलन हुआ। इस दिन जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके, भगवान शिव एवं पार्वती की पूजा करती हैं, उनके सुहाग की रक्षा होती है। जिस लड़की के विवाह के बाद पहला सावन आता है, उसे ससुराल में नहीं रखा जाता। इसीलिए नवविवाहित पुत्री की ससुराल से सिंधारा आता है और ऐसी सामग्री का आदान-प्रदान किया जाता है ताकि रिश्तेदारी प्रगाढ़ हो। इसमें उसके लिए साड़िया, सौंदर्य प्रसाधन, सुहाग की चूड़िया व संबंधित सामान के अलावा उसके भाई-बहनों के लिए कपड़े, मिष्ठान तथा गिफ्ट भेजे जाते हैं।
Keep these things in mind in worship method पूजन विधि में रखें इन बातों का ध्यान
यूं तो तीज का त्यौहार तीन दिन मनाया जाता है परंतु समयाभाव के कारण इसे एक दिन ही मनाना रह गया हैै। तीज से एक दिन पहले मेंहदी लगा ली जाती है। तीज के दिन सुबह स्नानादि व श्रृंगार करके, नए वस्त्र व आभूषण धारण करके गौरी की पूजा की जाती है।
इसके लिए मिट्टी या अन्य धातु से बनी शिवजी, पार्वती व गणेश जी की मूर्ति रख कर उन्हें वस्त्रादि पहना कर रोली, सिंदूर, अक्षत आदि से पूजन करती हैं।
इसके बाद 8 पूरी, 6 पूओं से भोग लगाती हैं फिर यह बायना जिसमें चूड़िया, शृंगार का सामान व साड़ी, मिठाई, दक्षिणा या शगुन राशि इत्यादि अपनी सास, जेठानी या ननद को देते हुए चरण स्पर्श करती हैं। इसके बाद पारिवारिक भोजन किया जाता है। सामूहिक रूप से झूला झूलना, तीज मिलन, गीत संगीत, जलपान आदि किया जाता है। कुल मिला कर यह पारिवारिक मिलन का सुअवसर होता है। तीज के बहाने संपूर्ण शरीर की ओवर हालिंग भी हो जाती है।