‘परमेश्वर’ ही हमारे वास्तविक माता-पिता

punjabkesari.in Tuesday, Apr 27, 2021 - 12:27 PM (IST)

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नवजात बच्चे का सर्वप्रथम संपर्क उसके माता-पिता से ही होता है। इनमें भी मां प्रथम है। वेद परमेश्वर के विषय में कह रहा है-

त्वं हि न: पिता वसो
त्वं माता शतक्रतो बभूविथ।

अर्थात- हे अनंत कर्मकर्ता, अनंतप्रज्ञ परमेश्वर! तू ही हमारी माता है तथा तू ही पिता है।

वेद ऐसा क्यों कह रहा है जबकि हमें जन्म तो माता-पिता दे रहे हैं? ध्यानपूर्वक देखिए, माता-पिता तो कुछ अंश तक केवल निमित्त मात्र हैं। पिता ने अपने शरीर के सारभूत द्रव्य से गर्भाधान किया तथा माता ने उसे अपने शरीर से बढ़ाया और जन्म दिया तो इसमें परमेश्वर ने क्या किया?

इसका उत्तर देते अथर्ववेद दे रहा है कि उस भ्रूण में प्राणों का संचार कितने किया? उसके नेत्रों में ज्योति किसने दी तथा भ्रूण को जीव से संयुक्त किसने किया?

माता-पिता की शक्ति इन कार्यों को करने की नहीं है। यदि ऐसा होता तो नेत्रहीन तथा प्राणहीन शिशु उत्पन्न न होते। कोई भी माता-पिता ऐसे बच्चे की कामना नहीं करेगा।

इसलिए परमेश्वर ही वास्तव में हमारा जन्मदाता है। माता-पिता तो निमित्त मात्र हैं। क्या हमने कभी परमेश्वर से इतना प्रेम, उसके ऊपर इतनी श्रद्धा भक्ति की है जितना माता-पिता के साथ करते हैं? यदि नहीं, तो उसके साथ हमारा तादात् य कैसे बनेगा?

माता संतानों को जन्म देती है तो पिता पालन करता है। परमेश्वर प्रदत्त पदार्थों के द्वारा ही वह हमारा पालन पोषण करता है। ईश्वर ने मनुष्यों तथा अन्य जीवोपयोगी पदार्थ संसार में पहले ही उत्पन्न कर दिए हैं। -डा. रघुवीर वेदालंकार
 


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Content Writer

Jyoti

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