Garuda Purana : सावधान ! पत्नी को दिया एक भी दुख, यमराज के दरबार में बनेगा आपके विनाश का कारण
punjabkesari.in Sunday, Dec 21, 2025 - 02:45 PM (IST)
Garuda Purana : सनातन धर्म में विवाह को बहुत ही पवित्र माना गया है। खासतौर से पत्नी को अर्धांगिनी का दर्जा दिया गया है। अर्धांगिनी यानी शरीर का आधा हिस्सा। लेकिन आज के समय में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं, जहां पत्नी को सम्मान नहीं मिलता और कहीं उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। गुरुड़ पुराण में ऐसे कर्मों के फलों का वर्णन किया गया है। गरुड़ पुराण में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि पत्नी के प्रति अपमान, उपेक्षा या कठोर व्यवहार न केवल दांपत्य जीवन को बिगाड़ता है, बल्कि व्यक्ति के कर्मों पर भी भारी पड़ता है। अगर आप भी अपने वैवाहिक जीवन में सुख, सम्मान और स्थिरता चाहते हैं, तो गरुण पुराण की ये सीख आपके सोचने और जीने का नजरिया बदल सकती है। तो आइए जानते हैं गरुड़ पुराण से पत्नी को कष्ट देने वाले का क्या होता है हाल।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो पुरुष अपनी पत्नी के साथ बिना उचित कारण के मानसिक या शारीरिक अत्याचार करते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद कठोर दंड का भागी माना गया है। गरुड़ पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार ऐसे कृत्यों को गंभीर पाप माना जाता है और इन कर्मों के लिए यमलोक में विशेष दंड दिए जाने की बात कही गई है। मान्यता है कि पत्नी के सम्मान और मर्यादा की रक्षा करने के बजाय उन्हें अपमान और कष्ट देने वाले व्यक्तियों को भयावह यातनाओं का सामना करना पड़ता है।
मान्यताओं के अनुसार, जो पुरुष अपनी पत्नी के प्रति विश्वासघात करता है, किसी अन्य स्त्री के आकर्षण में आकर उसे छोड़ देता है या उसे मानसिक-शारीरिक कष्ट पहुंचाता है, उसे इसके गंभीर दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं। कहा जाता है कि ऐसे व्यक्ति को आने वाले जन्मों में गंभीर रोगों और आर्थिक अभाव का सामना करना पड़ सकता है। गरुड़ पुराण में पत्नी के साथ किए गए छल और अन्याय को अत्यंत घोर पाप की श्रेणी में रखा गया है, जिसे सबसे बड़े अपराधों में गिना गया है।

इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि जो व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करता है, उसे अपमानित करता है, उसे अपशब्द बोलता है या उसकी मूल आवश्यकताओं की अनदेखी करता है तो ऐसे में उस व्यक्ति के द्वारा किए गए धार्मिक कर्मों जैसे दान-पुण्य, पूजा-पाठ और तीर्थ यात्राओं का पूरा फल नहीं मिलता। ऐसा कहा जाता है कि ऐसे आचरण वाले व्यक्ति की उपासना और प्रार्थनाएं प्रभावहीन हो जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गृहस्थ जीवन में पत्नी को समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है, और जहां पत्नी के सम्मान में कमी आती है, वहां सुख-शांति के स्थान पर दरिद्रता और कलह बढ़ने लगती है।

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