Gartang Gali- बर्फीले पहाड़ों और रोमांच से भरी है ये अनोखी गली

punjabkesari.in Monday, Nov 25, 2024 - 10:06 AM (IST)

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उत्तरकाशी के जाड गंगा घाटी में मौजूद ऐतिहासिक गरतांग गली इन दिनों पर्यटकों से गुलजार दिख रही है। 140 मीटर लम्बी इस गली का निर्माण 17वीं सदी में पेशावर से आए पठानों ने करवाया था। 1962 से पहले इस रास्ते के जरिए भारत-तिब्बत के बीच व्यापार किया जाता था। नेलांग घाटी के दोनों तरफ इस समय व्यापारियों की धूम रहती थी। यह गली साल 1962 के बाद से बंद पड़ी हुई थी। इसको ठीक करके फिर से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है और अब तक हजारों पर्यटक इस गली को देखने पहुंच चुके हैं।

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गरतांज गली समुद्र तट से 10500 फुट की ऊंचाई पर मौजूद एक चट्टान को काट कर बनाई गई थी। यह जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से करीब 85 किलोमीटर दूर मौजूद है। गरतांग गली की लगभग 150 मीटर लम्बी सीढ़ियां अब नए रंग में नजर आने लगी हैं। 11 हजार फुट की ऊंचाई पर बनी गरतांग गली की सीढ़ियां इंजीनियरिंग का नायाब नमूना हैं। यह ट्रैक भैरोंघाटी के नजदीक खड़ी चट्टान वाले हिस्से में लोहे की रॉड गाड़कर और उसके ऊपर लकड़ी बिछाकर तैयार किया था। इस पुल से नेलांग घाटी का रोमांचक दृश्य दिखाई देता है।

तिब्बती व्यापारी ऊन और चमड़े से बने कपड़े लेकर सुमला, मंडी और नेलांग से गरतांग गली होते हुए उत्तरकाशी पहुंचते  थे। भारत-चीन युद्ध के बाद गरतांग गली से व्यापारिक गतिविधियां बंद हो गई थीं। बीच में सेना ने भी इस रास्ते का इस्तेमाल किया लेकिन साल 1975 में जब भैरव घाटी से नेलांग तक सड़क बन गई तो सेना ने भी इस रास्ते का इस्तेमाल बंद कर दिया था। रास्ते की देख-रेख न हो पाने की वजह से इसकी सीढ़ियां और किनारे से लगा लकड़ी का बॉर्डर टूट गया था। इसी वजह से गरतांग गली का पुनरुद्धार शुरू किया गया। इसे ठीक कराने में 64 लाख की लागत आई थी।

अप्रैल महीने में बर्फबारी की वजह से गरतांग गली के पुनरुद्धार का काम धीमा हो गया था। काम जून में शुरू होकर जुलाई के आखिर तक पूरा हो गया था जिसके 2 हफ्ते बाद इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया।

रोमांच का सफर करने वालों के लिए नया पर्यटक स्थल
अब हर दिन यहां पर सैंकड़ों पर्यटक घूमने पहुंच रहे हैं। जाड गंगा घाटी में गरतांग गली 2 किलोमीटर का सीढ़ीनुमा ट्रैक है। ट्रैकिंग के शौकीन लोगों के लिए आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। खासकर पर्यटकों और रोमांच का सफर करने वालों के लिए यह नया पर्यटक स्थल साबित हो रही है। इससे स्थानीय युवाओं के लिए भी रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

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सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र
नेलांग घाटी सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है। गरतांग गली भैरव घाटी से नेलांग को जोड़ने वाले पैदल मार्ग पर जाड़ गंगा घाटी में मौजूद है। उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी चीन सीमा से लगी है। सीमा पर भारत की सुमला, मंडी, नीला पानी, त्रिपानी, पी.डी.ए. और जादूंग अंतिम चौकियां हैं। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद बने हालात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उत्तरकाशी के इनर लाइन क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था। यहां के ग्रामीणों को एक निश्चित प्रक्रिया पूरी करने के बाद साल में एक ही बार पूजा-अर्चना के लिए इजाजत दी जाती रही है। इसके बाद देश भर के पर्यटकों के लिए साल 2015 से नेलांग घाटी तक जाने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से इजाजत दी गई थी।

कैसे पहुंचें :
हवाई मार्ग से
निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 200 किलोमीटर दूर है। देहरादून हवाई अड्डे से उत्तरकाशी तक टैक्सी तथा बस सेवाएं उपलब्ध हैं।

ट्रेन द्वारा
ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून सभी जगह रेलवे स्टेशन हैं। उत्तरकाशी से निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (लगभग 100 किलोमीटर) है। ऋषिकेश से उत्तरकाशी बस/टैक्सी से पहुंचा जा सकता है।

सड़क द्वारा
राज्य परिवहन की बसें उत्तरकाशी और ऋषिकेश (200 किलोमीटर) के बीच नियमित रूप से चलती हैं।
स्थानीय परिवहन संघ और राज्य परिवहन की बसें तथा टैक्सी उत्तरकाशी और ऋषिकेश (200 किलोमीटर), हरिद्वार (250 किलोमीटर), देहरादून (200 किलोमीटर) के बीच नियमित  रूप  से चलती हैं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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