योगियों के पास ऐसा क्या है, जो कि शक्ति सम्पन्न राजाओं के पास भी नहीं था?

punjabkesari.in Thursday, Nov 17, 2016 - 03:58 PM (IST)

उच्चकोटि के तंत्रशास्त्रों में इस माला का उल्लेख मिलता है, परंतु इसकी स्पष्ट व्याख्या पूर्ण रूप से किसी एक ग्रंथ में नहीं है, यह श्रेष्ठतम माला योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण एवं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के गले में निरंतर विद्यमान रहती थी, योगियों ने (जो राजाओं के भी राजा समझे जाते हैं) इस माला को सिद्ध कर अपनी उच्चता, दिव्यता प्रकट की है।

 

वशिष्ठ ऋषि के आश्रम में बड़े से बड़े राजा भी सामान्य शिष्य की तरह ज्ञान ग्रहण करते थे। सम्राट अशोक भी ज्ञान प्राप्ति के लिए बुद्ध के पास अपने राजसी परिधान त्याग कर सामान्य व्यक्ति की तरह याचक बन कर गए तो यह प्रश्न अवश्य उठता है कि इन योगियों के पास ऐसा क्या था जो कि शक्ति सम्पन्न राजाओं के पास भी नहीं था?  किसी भी साधु के पास और कुछ भी नजर आए अथवा न आए, उसकी झोली खाली हो लेकिन गले में माला अवश्य नजर आएगी क्योंकि माला के बिना एक अधूरापन रहता है। आखिर माला ही क्यों? इसके पीछे क्या रहस्य है? 

 

वास्तव में माला तो कुंडलिनी शक्ति का स्वरूप है, मूलाधार से आज्ञाचक्र तक ये सभी बिंदु शुद्ध माला से जुड़े होते हैं और जिस प्रकार आरोह से अवरोह क्रम अर्थात नीचे से ऊपर व ऊपर से नीचे कुंडलिनी शक्ति के बिंदु जुड़े होते हैं इसी प्रकार श्रेष्ठ माला में इन बिंदुओं को जोड़ा जाता है। पारदमाला का ही दूसरा नाम त्रैलोक्य विजय माला है, इसे त्रैलोक्य विजयनी, त्रैलोक्य भुवन मोहिनी तथा त्रैलोक्य शक्ति प्रदायक के नाम से भी पुकारा जाता है। शास्त्रों का कथन है कि इस माला को धारण करने से 64 सिद्धियां और नवनिधियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं, जहां एक ओर संसार का समस्त वैभव, सुख ऐश्वर्य एवं आनंद पहनने वाले को प्राप्त होता है, वहीं दूसरी ओर कई सिद्धियां उसे स्वत: प्राप्त होने लगती हैं इसलिए इस माला को ‘त्रैलोक्य पारद माला’ कहा गया है।

 

इसके पहनने से दरिद्रता का नाश होता है तथा श्रेष्ठ एवं आकस्मिक धनागम होने की संभावना बढ़ती है, शरीर के समस्त रोग स्वत: ही धीरे-धीरे कम होने लगते हैं और व्यक्ति स्वस्थ, निरोग, सौंदर्यशाली बनता है। इसके पहनने से आंखों की ज्योति बढ़ती है तथा मस्तिष्क क्रियाशील होता है, व्यापार में तथा राज्य कार्यों में विशेष सफलता प्राप्त होती है, इसके धारण करने से व्यक्ति का पौरुष तथा हिम्मत, व्यक्तित्व अपने आप में बढ़ता है और उसमें अत्यधिक जोश, साहस, हिम्मत एवं आत्मविश्वास की भावना बढ़ जाती है।  सबसे बड़ी बात यह है कि इस माला को धारण करने के बाद व्यक्ति समस्त कार्यों में सफलता पाने लगता है, जिसकी नजर इस माला पर पड़ती है वह उसके वश में होकर उसके अनुकूल कार्य करने लग जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि माला को नियमित रूप से पहने रहें और विश्वास के साथ इस माला को धारण करते हुए साधना में अनुरक्त रहें।


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