Sawan 2019ः शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के इन नियमों को नहीं जानते होंगे आप

punjabkesari.in Monday, Jul 15, 2019 - 12:35 PM (IST)

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सावन
के महीने की शुरुआत 17 जुलाई दिन बुधवार से हो रही है और यह माह भगवान शिव को समर्पित है। भोलेनाथ के भक्त सावन का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं ताकि वे अपने भोले का पूजन दौगुना कर सके। कहते हैं कि जो कोई भी इस मास में शिव जी को अपनी भक्ति से प्रसन्न कर देता है तो बाबा उनकी हर इच्छा पूरी कर देते हैं। इस महीने शिवलिंग पर जल, दूध और गंगाजल अर्पित करने के साथ-साथ भगवान को बेलपत्र भी चढ़ाया जाता है, जोकि उन्हें अतिप्रिय होता है। लेकिन क्या इसके बारे में कोई ये जानता है कि क्यों उन्हें बेलपत्र किस तरह चढ़ाया जाना चाहिए? अगर नहीं तो आज हम आपको इसी के नियमों के बारे में बताएंगे। 
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दरअसल, ऐसा माना जाता है कि भगवान को बेलपत्र प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा में इसका प्रयोग किया जाता है। लेकिन इसी के साथ ही हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि धर्म के साथ-साथ प्रकृति की भी रक्षा करनी चाहिए। यही कारण है कि देवी-देवताओं को अर्पित किए जाने वाले फल-फूल तोड़ने के नियम बताए गए हैं। चलिए जानते हैं उन नियमों के बारे में। 

नियमः 
शास्त्रों के मुताबिक चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को बेलपत्र न तोड़ें। इसके अलावा सं‍क्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र नहीं तोड़ने चाहिए।

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के लिए इन तिथियों या वार से पहले तोड़ा गया पत्र ही चढ़ाना चाहिए। 
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बेलपत्र तोड़ते वक्त टहनी नहीं तोड़ना चाहिए। टहनी से सिर्फ बेलपत्र ही चुन-चुनकर तोड़ना चाहिए। 

बेलपत्र तोड़ने से पहले और तोड़ने के बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम करें और कष्ट देने के लिए माफी मांगें।

बेलपत्र चढ़ाने के नियमः
शिवलिंग पर बेलपत्र हमेशा उल्टा चढ़ाना चाहिए, तभी लाभ मिलेगा।

बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए। 

बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं। बेलपत्र जितने अधिक दल के होंगें, उतने ही उत्तम रहेंगे। 
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अगर बेलपत्र न हो तो बेल के वृक्ष के दर्शन मात्र से ही पाप नष्ट हो जाते हैं। 

ध्यान रहे कि शिवलिंग पर दूसरे के चढ़ाए गए बेलपत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए।


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