पहाड़ों पर बसे हैं देवी मां के ये 10 प्राचीन मंदिर
punjabkesari.in Monday, Jan 22, 2018 - 04:51 PM (IST)

यूं तो देवी मां के पूरे विश्वभर में अनेकों मंदिर है। जहां अलग-अलग रूप में मां अपने भक्तों को आशीष देती है और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूरी करती हैं। लेकिन मां के 10 एेसे प्रसिद्ध मंदिर जो पहाड़ो के ऊपर बसे हैं और इन मंदिरों की अपनी-अपनी खासियत भी है। जानिए इन मंदिरों के बार में-
कनक दुर्गा मंदिर, आंध्र प्रदेश
यह मंदिर जिस पहाड़ी पर बसा है उस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इस पहाड़ी पर अर्जुन ने भगवान शिव की तपस्या की थी और उनसे पाशुपतास्त्र प्राप्त किया था। पौराणिक मान्यता अनुसार इस मंदिर की देवी प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी, इसलिए इसे बहुत खास और शक्तिशाली माना जाता है।
तारा देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश
कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 250 साल पहले बनाया गया था। यहां स्थापित देवी की मूर्ति को लेकर मान्यता है की तारा देवी की मूर्ति प. बंगाल से लाई गई थी।
चामुंडेश्वरी मंदिर, कर्नाटक
मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना 12वीं सदी में की गई थी। मंदिर परिसर में राक्षस महिषासुर की एक 16 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। जो यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक है।
मनसा देवी मंदिर, उत्तराखंड
मान्यताओं के अनुसार मनसा देवी की उत्पत्ति ऋषि कश्यप के मन से हुई थी। यहां स्थापित पेड़ पर धागा बांधने से मनोकामना जरूर पूरी होती है। जिसके बाद पेड़ से एक धागा खोलने की परंपरा है।
अधर देवी मंदिर, राजस्थान
अधर देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को लगभग 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। यहां मान्यता है कि अगर कोई भक्त पूरी श्रद्धा के साथ देवी की पूजा करता है तो यहां उसे बादलों में देवी की छवि दिखती है।
बम्लेश्वरी देवी मंदिर, छत्तीसगढ़
इस जगह का नाम डोंग और गढ़ शब्दों को मिलाकर बना है। डोंग का अर्थ होता है पर्वत और गढ़ का मतलब होता है क्षेत्र। यह मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के डोंगरगढ़ में 1600 फीट ऊंची पहाड़ी पर है। जहां पहुंचने के लिए लगभग 1100 सीढ़ियां है।
सप्तश्रृंगी देवी मंदिर, महाराष्ट्र
यहां की देवी मूर्ती लगभग 10 फीट ऊंची है। देवी मूर्ति के 18 हाथ है. जिनसे वे अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र पकड़े हुए है। यह मंदिर छोटे-बड़े सात पर्वतों से घिरा हुआ है इसलिए यहां की देवी को सप्तश्रृंगी यानी सात पर्वतों की देवी कहा जाता है।
तारा तारिणी मंदिर, उड़ीसा
यह देवी मंदिर अपने आप में बहुत खास है क्योंकि यह मंदिर दो जुड़वां देवियों तारा और तारिणी को समर्पित है। यह मंदिर देवी सटी के 4 शक्ति पीठों के मध्य में स्थापित है, यानि इस मंदिर की चारों दिशा में एक एक शक्ति पीठ है।
वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू-कश्मीर
मंदिर के ग्राभ गृह तक जाने के लिए एक प्राचीन गुफा थी, जिसे अब बंद करके दूसरा रास्ता बना दिया गया है। मान्यता है की माता ने इस प्राचीन गुफा में भैरव को अपने त्रिशूल से मारा था।
शारदा माता मंदिर, मध्यप्रदेश
इसे देवी के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। कहते है की यहां पर देवी सती का हार गिरा था। मैहर वाली माता मंदिर मध्यप्रदेश राज्य की त्रिकुटा पहाड़ी पर बसा है।