श्मशान के कुछ तंत्र प्रयोग, असफलता या निराशा का सामना नहीं करना पड़ेगा

punjabkesari.in Wednesday, May 03, 2017 - 01:18 PM (IST)

श्मशान भूमि एक ऐसा स्थान है, जहां हर व्यक्ति की जीवन लीला समाप्त होने के उपरांत उसे अंतिम विदाई दी जाती है। इस स्थान पर जाने पर एक अजीब सा भय और डर व्यक्ति के मन में घर कर लेता है। तंत्र शक्तियों को अंजाम देने वाले इस स्थान को अपना घर समझते हैं। श्मशान में किए जाने वाले कुछ ऐसे तंत्र प्रयोग हैं, जिनकी  सहायता से आप वो हर वो काम कर सकते हैं, जो करना चाहते हैं-


श्मशान में जाकर भूमि में नमक गाड़ दें। एक सप्ताह बाद निकाल कर ले आएं। इस नमक को पानी में मिलाकर कान में डालने से सभी कर्ण रोगों को ठीक किया जा सकता है। नियमित रूप से चालीस दिन तक प्रयोग करने से बहरापन कम होता है।


आंखें बंद कर पलक पर यह नमक पीसकर रख दें। पंद्रह-बीस मिनट के बाद पलकें धो डालें, तो आंखों की अनावश्यक लाली, फूली, भाड़ा, रोहा कट जाता है। नब्बे दिन तक इसका प्रयोग करने से मोतियाबिंद भी ठीक हो जाता है।


पागल कुत्ते के काटने पर यह नमक पीसकर घाव या कुत्ते के दांत लगे निशानों पर बांधने से कुत्ते के विष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।


चर्म रोगों पर इस नमक को घिसते रहने से वे ठीक हो जाते हैं। सफेद दाग पर प्रतिदिन दस मिनट तक रगडऩे से ये दाग भी ठीक हो जाते हैं।


श्मशान के सबसे अलग स्थान पर जहां अन्य पेड़-पौधे न हों, गुलाब का पौधा लगा दें। इस पौधे के फूल को पूर्णमासी की रात को ले आएं। जिसे यह फूल देंगे वह आपके वशीभूत हो जाएगा। दुश्मन के सामने यह फूल लगाकर जाने पर वह किसी प्रकार का अहित नहीं कर सकता।


इस गुलाब के फूल को पीसकर माथे पर लगाने से सिरदर्द से तुरन्त आराम मिलता है। जले-कटे घावों पर भी इसका लेप तत्काल पीड़ा का हरण करता है।


अनिद्रा के रोगी के सिरहाने इसको रखने से उसे गहरी नींद आती है। छोटे बच्चों के सिरहाने रखने से वे रात को चौंकना या डरना बंद कर देते हैं।


सूखा रोग से पीड़ित बच्चे के गले में एक फूल तावीज में भरकर बांध देने से सूखा रोग दूर हो जाता है।


इस पौधे के फूलों से बनाए गए इत्र का फाहा कान में रखने से मुकद्दमे में विजय, वाद-विवाद में विजय, व्यापार में लाभ और सर्वत्र प्रभाव पड़ता है। असफलता या निराशा का सामना नहीं करना पड़ता है।


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