Diwali Night: दिवाली है तंत्र-मंत्र की रात, जब जागती हैं अदृश्य शक्तियां रहें सावधान !
punjabkesari.in Friday, Oct 17, 2025 - 02:00 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Diwali Tantra Mantra: दीपावली की रात्रि जितनी शुभ है, उतनी ही संवेदनशील भी। यह रात्रि हमें बताती है कि प्रकाश और अंधकार दोनों ही हमारे जीवन का हिस्सा हैं। जो साधक अपनी साधना को सद्पथ पर रखते हैं, उनके लिए यह रात सिद्धि और कल्याण की प्रतीक बन जाती है। दीपावली तंत्र-मंत्र की महारात्रि तिथि है। दीपों का पर्व दीपावली केवल धन और प्रकाश का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह रात्रि अदृश्य ऊर्जाओं और तांत्रिक सिद्धियों की सबसे प्रबल रात्रि मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार, जब अमावस्या की रात्रि में सूर्य और चंद्र दोनों की किरणें लुप्त हो जाती हैं, तब सूक्ष्म जगत सक्रिय होता है। इस समय सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार की शक्तियां जागृत रहती हैं।
इसी कारण दीपावली को तंत्र-मंत्र की महारात्रि कहा गया है।
तंत्रशास्त्र का रहस्य और गुप्तता
तंत्रशास्त्र कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि वेदों का ही गूढ़ विज्ञान है। ऋग्वेद और अथर्ववेद में भी मंत्र, कवच और अभिचार कर्मों का उल्लेख मिलता है। तंत्र में दो मूल तत्व बताए गए हैं —
सिद्धि-साधना का फल
गुप्त प्रयोग से करें ये विधि
यह गूढ़ इसलिए रखा गया है ताकि अनधिकारी व्यक्ति इसका गलत प्रयोग न कर सके। तंत्र-मंत्र की विधियों को केवल योग्य, संयमी और अनुभवी साधक ही कर सकता है।
दीपावली की रात क्यों होती है तांत्रिकों के लिए विशेष?
धनतेरस से लेकर अमावस्या तक, पांचों दिनों में विशेष तांत्रिक क्रियाएं की जाती हैं। तांत्रिक मानते हैं कि इस रात – मंत्रों की सिद्धि शीघ्र होती है। यंत्रों का चार्जिंग काल होता है। शत्रु निवारण, ग्रह शांति और लक्ष्मी सिद्धि के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त होता है। अतः इसे तंत्र साधकों के लिए सिद्धि की अमावस्या कहा गया है।
घरों में अपनाए जाने वाले लोक-टोटके
भारत में लोक परंपराओं के रूप में तंत्र का रूप गृहस्थ जीवन में भी देखा जा सकता है। दीपावली की रात घर में नमक से नजर उतारना, मिष्ठान आने पर चुटकी भर निकाल फेंकना, बाल खोलकर न घूमना, छत या अंधेरे स्थानों पर न खेलना, ये सब सुरक्षा उपाय हैं जो नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करते हैं। बुजुर्ग मानते हैं कि इन घरेलू टोटकों से दृष्टिदोष, भय, रोग और दुर्भाग्य दूर होता है।
अमावस्या की रात्रि और नकारात्मक ऊर्जाएं
ज्योतिष के अनुसार, जब चंद्रमा पूर्णतः लुप्त होता है, तब प्रकृति की रात्रिकालीन शक्तियां प्रबल हो जाती हैं। इस समय अभिचार कर्म, काला तंत्र, मोहिनी व वशीकरण साधनाएं तथा लक्ष्मी साधना। इन सभी की सिद्धि की जाती है। इसीलिए कहा जाता है कि महामावस्या (दीपावली की रात) में सावधानी अत्यंत आवश्यक है।
सुरक्षा के शास्त्रीय उपाय
तंत्र-मंत्र की सक्रियता से डरने की नहीं, सतर्क रहने की आवश्यकता है। शास्त्रों में नकारात्मक ऊर्जाओं से बचने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं —
महामृत्युंजय या नारायण कवच धारण करें।
लक्ष्मी यंत्र या श्री यंत्र की पूजा करें।
काली या भैरव स्तोत्र का पाठ करें।
गंगाजल और दीपक से घर का वातावरण शुद्ध रखें।
इससे न केवल अदृश्य शक्तियों से रक्षा होती है, बल्कि घर में आध्यात्मिक ऊर्जा और धन की स्थिरता बढ़ती है।