Dhanteras 2020: आज शाम इन मंत्रों के साथ करें कुबेर देव की आराधना
punjabkesari.in Friday, Nov 13, 2020 - 12:55 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जैसे कि हम आपको बता चुके कि आज देशभर के बहुत से हिस्सों में धनतेरस का त्यौहार मनाया जा रहा है। इस दौरान हिंदू धर्म के विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा आदि की जाती है। जिनमें देवी लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि, मृत्यु के देवता यमराज तथा कुबेर देव का नाम शामिल है। कहा जाता है इस दिन इन तीनों की आराधना करने से धन धान्य में वृद्धि होती है। यूं तो इससे जुड़ी लगभग जानकारी हम आपको दे चुके हैं। मगर अब हम जो जानकारी लाएं हैं, उसमें हम आपको बताने वाले हैं कि आप इस दिन कुबेर देव को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं। क्योंकि बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें इस बारे में ये नहीं पता कि इस दिन इनकी भी विशेष कृपा पाई जा सकती है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के धन त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। जो इस वर्ष कुछ जगहों पर 12 नवंबर को मनाया गया है को कुछ जगहों पर 13 यानि शुक्रवार को मनाया जा रहा है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस दिन खासतौर पर दीए जलाने की पंरपरा होती है। मगर बहुत कम लोग जानते हैं इन दीयों को जलाते समय कुछ खास मंत्रों का उच्चारण भी किया जाना जरूरी होती है। अन्यथा इनकी कृपा नहीं मिलती। तो चलिए आपको बताते हैं कौन से हैं वो मंत्र-
कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर की पूजा का धनतेरस पर अधिक महत्व बताया जाता है।शास्त्रों में कहा गया है कि इनकी पूजा करने से स्थाई धन की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा हमेशा शाम के समय करनी चाहिए, साथ ही साथ इस दिन इनकी पूजा के दौरान कुबेर देव के निम्न मंत्रों का जाप ज़रूर करना चाहिए। इससे आपकी धन संबंधित सभी समस्याएं दू होती हैं, और समृद्धि बढ़ती है।
'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।'
इसके अलावा इस दिन कुबेर देव एवं माता लक्ष्मी का विधि-वत पंचोपचार पूजन करते समय पूजन ॐ कुबेराय नम: मंत्र का उच्चारण करें।
फिर सिंदूर में घी मिलाकर तिज़ोरी या फिर धन रखने की अलमारी के दरवाजे पर स्वास्तिक का चिह्म बनाएं। पूजा संपन्न हो जाने के उपरांत नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें।
ॐ कुबेर त्वं धनाधीश गृहे ते कमला स्थिता।
तां देवीं प्रेषयाशु त्वं मद्गृहे ते नमो नम:।।
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्यास्त के उपरांत आटे के 13 दीपक बनाकर, उसमें कच्चे सूत की बाती बनाकर डालकर और गाय का घी डालकर प्रज्वलित किया जाता है है।
सभी दीपकों पर सिंदूर से तिलक कर, इन्हें मुख्य द्वार के दोनों ओर 6-6 दीपक रख दिए जाने की परंपरा है।
बचे हुए एक दीपक को तुलसी के पौधेके पास जलाकर रख दिया जाता है।
कहा जाता है ऐसा करने से घर में सदैव के लिए संपन्नता बनी रहती है।