Kundli Tv- देवशयनी एकादशी व्रत कथा: सुनने-सुनाने से हर दुख होगा दूर

punjabkesari.in Monday, Jul 23, 2018 - 08:33 AM (IST)

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भगवान को एकादशियां अति प्रिय हैं तथा जो लोग एकादशी व्रत का नियम से पालन करते हैं, उन पर प्रभु सदा प्रसन्न रहते हैं। शास्त्रानुसार प्रत्येक मास के दो पक्षों में दो-दो एकादशियां यानि साल भर के 12 महीनों में 24 एकादशियां आती हैं परंतु जो मनुष्य इस पुण्यमयी देवशयनी एकादशी का व्रत करता है अथवा इसी दिन से शुरु होने वाले चार्तुमास के नियम अथवा किसी और पुण्यकर्म करने का संकल्प करके उसका पालन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। जीव को अक्षय फल की प्राप्ति भी होती है।इसी कारण इन चार महीनों में किए गए पुण्य कर्मों का फल सबसे अधिक होता है और सभी सुखों को भोगता हुआ जीव अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है। जिस कामना से कोई इस व्रत को करता है, वह इच्छा अवश्य पूरी होती है। इसी कारण इसे मनोकामना पूरी करने वाला व्रत भी कहा जाता है।

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देवशयनी एकादशी व्रत की कथा 
सत्युग में मान्धाता नामक एक सत्यवादी एवं महान प्रतापी सूर्यवंशी राजा हुआ जो अपनी प्रजा का पालन अपनी संतान की भांति करता था। सभी लोग सुखी एवं खुशहाल थे। तीन वर्ष तक लगातार वर्षा न होने के कारण उसके राज्य में अकाल पड़ गया तथा यज्ञादि कार्य भी नहीं हुए व लोग अन्न के अभाव में कष्ट पाने लगे। प्रजा के दुख से दुखी  राजा मान्धाता कुछ सेना साथ लेकर वनों की तरफ चल पड़ा। वर्षा न होने के कारण का पता लगाने की इच्छा से वह अनेक ऋषियों के पास गया तथा अंत में ब्रह्मा जी के पुत्र अंगिरा ऋषि से मिला। राजा ने ऋषि अंगिरा को अपने राज्य में वर्षा न होने के बारे में बताते हुए तुरंत वर्षा होने का उपाय पूछा। 

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ऋषि अंगिरा ने राजा को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पदमा यानि हरिशयनी एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करने के लिए कहा। राजा ने सच्चे भाव से व्रत किया, जिसके प्रभाव से खूब वर्षा हुई तथा अन्न उपजनेे से सारी प्रजा सुखी हो गई। इस एकादशी के व्रत में यह कथा सुनने और सुनाने वाले सभी जीवों पर प्रभु की अपार कृपा सदा बनी रहती है।

वीना जोशी, जालंधर
veenajoshi23@gmail.com

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