Dada Lekhraj Kripalani 55th death anniversary: दादा लेखराज कृपलानी यूं बने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी के संस्थापक

punjabkesari.in Thursday, Jan 18, 2024 - 07:42 AM (IST)

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Dada Lekhraj Kripalani 55th death anniversary: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा का जन्म हैदराबाद (सिंध) में 15 दिसम्बर, 1876 को एक साधारण कृपलानी परिवार में हुआ था। उनका शारीरिक नाम दादा लेखराज था। उनके पिता निकट के गांव में एक स्कूल के मुख्याध्यापक थे। दादा का व्यापारिक और पारिवारिक जीवन, लौकिक दृष्टि से सफल एवं संतुष्ट था, परंतु जब दादा लगभग 60 वर्ष के थे, तब उनका मन भक्ति की ओर अधिक झुक गया। वह अपने व्यापारिक जीवन से अवकाश निकालकर ईश्वरीय मनन-चिंतन में लीन तथा अंतर्मुखी होते गए।

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अनायास ही एक बार उन्हें विष्णु चतुर्भुज का साक्षात्कार हुआ और उसने अव्यक्त शब्दों में दादा से कहा- ‘अहम् चतुर्भुज तत्व’ अर्थात् आप अपने वास्तविक स्वरूप में श्री नारायण हो। एक दिन जब दादा के घर में सत्संग हो रहा था, तब दादा अनायास ही सभा से उठ कर अपने कमरे में जा बैठे और एकाग्रचित्त हो गए और यहीं से उनके जीवन ने एक नया मोड़ लिया।

उनके मुखारविन्द द्वारा ज्ञान सुनकर पवित्र बनने का पुरुषार्थ करने वाले नर-नारी क्रमश: ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी कहलाए। पिताश्री ने श्रेष्ठ पुरुषार्थ करने वाली कन्याओं एवं माताओं (ब्रह्माकुमारियों) का ही एक ट्रस्ट बनाकर अपनी समूची चल एवं अचल सम्पत्ति उस ट्रस्ट को, मानव मात्र की ईश्वरीय सेवा में समर्पित कर दी। इस प्रकार, सन् 1937 में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। लगभग 14 वर्षों तक ईश्वरीय ज्ञान तथा दिव्य गुणों की धारणा का और योग-स्थित होने का निरंतर अभ्यास करने के बाद, अर्थात् तपस्या के बाद, सन् 1950 में यह ईश्वरीय विश्वविद्यालय आबू पर्वत (राजस्थान) पर स्थानांतरित हुआ।

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सन् 1969 में पिताश्री ने दैहिक कलेवर का परित्याग कर सम्पूर्णता को प्राप्त किया। उनके अव्यक्त सहयोग से ईश्वरीय सेवाएं पहले की अपेक्षा द्रुत गति से बढ़ीं, जो आज विश्व भर में 140 देशों में फैल चुकी हैं। महिलाओं के नेतृत्व में दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक संगठन के रूप में कई क्षेत्रों में इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है।

हालांकि महिलाएं शीर्ष प्रशासनिक पदों पर हैं, लेकिन इन पदों पर रहने वाली महिलाओं ने हमेशा पुरुषों के साथ साझेदारी में निर्णय लिया है, ऊर्जा और शक्ति का संचार किया है। संस्था से जुड़े लाखों लोगों ने अपने जीवन में मूल्यों का ऐसा बीज बोया है, जो आने वाली नई दुनिया का संकेत है। 

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Content Writer

Niyati Bhandari

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