पवित्र आत्मा का फल प्रभु यीशु मसीह ने दिया था संसार को भाईचारे का संदेश

punjabkesari.in Wednesday, Dec 23, 2020 - 12:31 PM (IST)

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जिस तरह परमेश्वर की सृजना नहीं हुई, ठीक उसी तरह प्रभु यीशु मसीह भी हैं जिनका न को कोई आदि है और न ही अंत। प्रभु यीशु मसीह के आने से 700 वर्ष पहले यशायाह नबी ने मसीह के बारे में भविष्यवाणी की थी जिसके बारे में पवित्र बाईबल में इस तरह लिखा गया है कि प्रभु अर्थात परमेश्वर तुम्हें एक निशान देगा। देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी। वे उसका नाम इमानुएल रखेंगे।
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इस भविष्यवाणी की पुष्टि युहन्ना नबी ने मसीह के जन्म के समय की। युहन्ना नबी ने कहा ‘शब्द’ देहधारी हुआ। शब्द का वर्णन मसीह के जन्म से हजारों वर्ष पहले लिखी गई पवित्र बाईबल में किया गया है। यहां ‘शब्द’ प्रभु यीशु मसीह के लिए प्रयोग किया गया था।

कैसर ओगस्तस की हुकूमत में यहूदिया के बादशाह हैरोदेस जो अपने आप को परमेश्वर कहता था अपनी प्रजा पर भारी अत्याचार कर रहा था। उस समय परमेश्वर ने उन मजलूम लोगों को हैरोदेस के जुल्मों से राहत दिलवाने, पाप से मुक्ति का मार्ग दिखलाने और स्वर्ग के राज्य के बारे में जागरूक करवाने के लिए अपने प्यारे बेटे (शब्द) यीशु मसीह को इस संसार में भेजा। प्रभु यीशु मसीह के जन्म के बारे में पवित्र बाईबल में इस तरह लिखा गया है : यीशु की माता मरियम की एक बढ़ई यूसुफ के साथ मंगनी हो चुकी थी और उनके इकट्ठे होने से पहले पवित्र आत्मा से मरियम गर्भवती पाई गई।

उन दिनों जब मरियम गर्भवती थी तो कैसर ओगस्तस की हुकूमत की ओर से रायशुमारी के लिए यरूशलम के शहर बैतलहम जाकर अपना नाम लिखवाने के लिए कहा गया जिसके तहत मरियम और यूसुफ को वहां जाना पड़ा। वहां ठहरने के लिए कोई जगह न मिलने पर उनको तबेले में ठहरना पड़ा। वहां यीशु का जन्म हुआ। जब यीशु का जन्म हुआ तो आसमान पर एक रूहानी सितारा दिखाई दिया जिसकी रोशनी को देखकर सारा संसार जगमगा उठा। 

इस रूहानी सितारे की चकाचौंध-रोशनी को देखकर संसार की चारों दिशाओं से भविष्यवक्ताओं ने अपने ज्योतिष ज्ञान द्वारा पता लगाया कि वह हस्ती कहां पैदा हो सकती है। तो चारों ज्योतिषी अपने-अपने देश से उस महान हस्ती (यीशु ) की तलाश में निकल पड़े। इस तलाश में रूहानी सितारे ने उनकी सहायता की।
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यीशु मसीह 33 वर्ष तक इस दुनिया में रहे। उन्होंने अपने जीवन में अनेक आश्चर्यजनक कार्य किए। अंधों को आंखें दीं, मुर्दों को जिंदा किया, बीमारों को स्वस्थ किया। अगर प्रभु यीशु मसीह की शिक्षाओं पर नजर डाली जाए तो ये इतनी सरल हैं कि आम आदमी उनको ग्रहण करके अपना जीवन रूहानी बना सकता है।

उन्होंने अपने इन उपदेशों में इंसान को अपने आप को पहचानने के लिए बहुत ही सरल ढंग से कहा कि हे इंसान, तू किसी की आंख का तिनका निकालने से पहले अपनी आंख का शहतीर देख अर्थात किसी के बारे में टिप्पणी करने से पहले अपने चरित्र पर नजर डाल। उन्होंने किसी को क्षमा कर देने को सबसे बड़ा धर्म कहा। उन्होंने कहा कि यदि कोई तेरी दाईं गाल पर तमाचा मारे तो तू अपना बायां गाल भी उसकी ओर कर दे। उन्होंने एक सामरी औरत जो उस समय की सबसे छोटी जाति कहलाती थी, से पानी पीकर ऊंच-नीच के भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया। 

उन्होंने सदैव ही प्रेम, आपसी भाईचारे और एकता का संदेश संसार को दिया। इसलिए उनका जन्मोत्सव सारे संसार के लोगों द्वारा बहुत ही श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जा रहा है। परमेश्वर ने संसार से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया ताकि हर एक जो उस पर विश्वास करे उसका नाश न हो बल्कि वह स्थाई जीवन प्राप्त करे।
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—अलबर्ट गिल—


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Jyoti

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