Chanakya Niti: इन 6 लोगों के लिए नहीं रखती कोई सीमा मायने

punjabkesari.in Friday, May 20, 2022 - 01:12 PM (IST)

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आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में बड़े से बड़े व छोटे से छोटे व्यक्ति के जीवन से जुड़ी ऐसी-ऐसी बातें बताई हैं, जिन्हें आम इंसान के लिए जानना इतना आसान नहीं होता। हमेशा की तरह आज एक बार फिर हम आपके लिए लाएं हैं इनके नीति सूत्र के कुछ श्लोक। जिनमें चाणक्य ने व्यापारियों से संबंधित ऐसी जानकारी दी है, जिससे पूरी व्यापार वर्ग को फायदा हो सकता है। इसके अलावा जानें विद्वान आचार्य चाणक्य की ही नीति से कि विद्वान के लिए कोई भी सीमा क्यों मायने नहीं रखती। 
PunjabKesari Chanakya Niti In Hindi, Chanakya Gyan, Chanakya Success Mantra In Hindi, चाणक्य नीति-सूत्र, Acharya Chanakya, Chanakya Niti Sutra, Dharmबता दें आचार्य चाणक्य को स्वयं विद्वान की उपाधि प्राप्त थी। इन्होंने अपने ज्ञान के बलबूते पर विद्वान के रूप में प्रसिद्धि पाई थी, कहा जाता है जो व्यक्ति अपने जीवन में इनकी नीतियां अपना लेता है, उसे अपने अंधेरे भरे जीवन में भी रोशनी दिखने लगती है। तो चलिए जानते हैं चाणक्य नीति अर्थ सहित चाणक्य नीति श्लोक- 

अतिरूपेण वै सीता अतिगर्वेणः रावणः ।
अतिदानाब्दलिर्बध्दो ह्यति सर्वत्र वर्जयेत् ।।

आचार्य चाणक्य नीति नें अपने इस श्लोक में कहा है कि किसी भी चीज की अधिकता अच्छी नहीं होती। धार्मिक शास्त्रों में किए उल्लेख के अनुसार आत्याधिक सुंदरता के कारण सीताहरण हुआ, तो वहीं अत्यंत घमंड के कारण रावण का अंत हुआ था, अत्यधिक दान देने के कारण रजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा, अतः चाणक्य कहते हैं सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए जीवन में किसी चीज की अधिकता नहीं होनी चाहिए, वरना इंसन व्यक्ति न चाहते हुए भी लाइफ में बुरे प्रभावों को झेलने लगता है। 
PunjabKesari Chanakya Niti In Hindi, Chanakya Gyan, Chanakya Success Mantra In Hindi, चाणक्य नीति-सूत्र, Acharya Chanakya, Chanakya Niti Sutra, Dharmकोऽतिभारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम् ।
को विदेशः सुविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम् ।।


निम्न श्लोक में आचार्य चाणक्य बताते हैं कि किन लोगों के लिए किसी प्रकार का बंधन, सीमा कोई मायने नहीं रखते हैं। चाणक्य के अनुसार शक्तिशाली लोगों के लिए कौनसा कार्य कठिन है? व्यापारियों के लिए कौनसा स्थान दूर है, विद्वानों के लिए देश विदेश की कोई सीमा नहीं है, मधुभाषियों का कोई शत्रु नहीं होता। 
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नीति के अनुसार जो व्यापारी है उसे स्थान सीमा का ध्यान नहीं रखना चाहिए। अगर वो ऐसा सोचता है तो उसे लाभ की प्राप्ति नहीं होती। जबकि विद्वानों के लिए भी सीमा का बंधन नहीं होना चाहिए। कहा जाता है जिसके पास ज्ञान है उसे हर कोई स्थान देने के लिए आतुर रहता है। अतः ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। इसके अलावा जो लोग मधुर वाणी बोलते हैं वे सभी के प्रिय होते हैं, उनका कभी कोई शत्रु नहीं होता और जिसका कोई शत्रु नहीं है, उसके लिए कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता। 


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Content Writer

Jyoti

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