चाणक्य नीति: अपना सुधार करो

punjabkesari.in Friday, Nov 13, 2020 - 03:01 PM (IST)

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चाणक्य जंगल में झोंपड़ी में निवास करते थे। लोग वहीं उनसे मिलने जाते तथा अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत कराते थे। एक दिन नागरिकों का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने गया। सभी झोंपड़ी तक नंगे पैर पहुंचे थे। पैरों में गोखरू व कांटे चुभने से उनके पांव लहूलुहान हो गए।
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एक व्यक्ति ने चाणक्य से कहा, ‘‘आपके पास तक पहुंचने में हम लोगों को बहुत कष्ट हुआ। तमाम जमीन पथरीली तथा कांटों से भरी है। आप राजा से कहकर इस कंटीली जमीन को चमड़े से ढकवाने की व्यवस्था करा दों। नागरिक पैरों में कांटे चुभने की पीड़ा से बच जाएंगे।’’

चाणक्य मुस्कुराते हुए बोले, ‘‘ इस जमीन को चमड़े से ढकवा देना तो असंभव है। हां, यदि तुम पैरों में चमड़े के जूते पहनने शुरू कर दो तो पथरीली जमीन तथा कांटों के प्रकोप से मुक्ति पा सकते हो।’’ नागरिक चाणक्य के भाव समझ गए कि हम तमाम संसार को तो नहीं सुधार सकते। हां, अपने को सुधारने का उपाय अवश्य कर सकते हैं।
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—शिव कुमार गोयल
 


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