चाणक्य नीति: काबू में रखें अपना मन
punjabkesari.in Sunday, Sep 06, 2020 - 06:23 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अगर आप हमारी वेबसाइट को रोज़ाना की तारीख में पड़ते हैं तो अब तक आप आचार्य चाणक्य से काफी हद तक अगवत हो चुके हैं। और हम जानते हैं आप इंतज़ार करते हैं कि हम आपको आए दिन अपनी वेबसाइट के माध्यम से इनकी द्वारा गई बातें आप तक पहुंचाए। जिससे न केवल आपका ज्ञाम बढ़े बल्कि साथ ही साथ इनकी नीतियों की मदद से आप अपने जीवन को न सिर्फ सरल और बेहतर बनाए, साथ ही साथ हर तरह की परेशानी आदि से निजात पा सके। तो चलिए आपकी बेसब्री को खत्म करते हैं और आज आपको महान कूटनीतिज्ञ की उस नीति के बारे में बताते हैं जिसमें उन्होंने के हमेशा प्रत्येक व्यक्ति को अपने मन पर हमेशा काबू रखना चाहिए।
श्लोक-
न जितेन्द्रियाणां विषयभयम
जिस व्यक्ति ने अपने मन तथा कर्मेन्द्रियों को वश में कर लिया है ऐसे व्यक्ति को विषय वासनाओं का कोई डर नहीं रहता। अपने दृढ़ चरित्र से वह सभी भौतिक सुख सामग्री को त्याज्य मानकर चलता है। जैसे राजा जनक राजा होते हुए भी ‘विदेह’ कहलाते थे।
श्लोक-
कर्मठ को मृत्यु का भय नहीं
न कृतार्थानां मरणभयम्।
जो व्यक्ति निरंतर अपने कार्य में जुटे रहते हैं, उन्हें मृत्यु का भय नहीं सताता। उन्हें मृत्यु के बारे में सोचने का समय ही नहीं होता। मृत्यु का भय उन्हें होता है जो भोग-विलास में डूबे रहते हैं।