Chanakya Niti: समृद्धि से दूर रखती हैं ये 3 धन कमाने की गलतियां, जानें चाणक्य की सीख
punjabkesari.in Sunday, Sep 14, 2025 - 06:00 AM (IST)

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, न केवल एक महान राजनयिक थे, बल्कि अर्थशास्त्र, राजनीति और जीवन प्रबंधन में भी उनका योगदान अतुलनीय है। उनकी रचना चाणक्य नीति आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उनके समय में थी। चाणक्य मानते थे कि धन अर्जन करना कोई पाप नहीं है, परंतु यदि यह अनुशासन, विवेक और नीति से न किया जाए, तो यही धन विनाश का कारण बन सकता है। उन्होंने ऐसी कुछ मुख्य गलतियों की ओर संकेत किया है जो मनुष्य को समृद्धि से दूर कर देती हैं। आइए जानें वो 3 मुख्य धन संबंधी गलतियां जिनसे हमें बचना चाहिए।
नैतिक तरीके से अर्जित धन
चाणक्य के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति छल, धोखा, चोरी, भ्रष्टाचार या अन्य अनैतिक तरीकों से धन अर्जित करता है, तो वह धन कभी स्थायी नहीं रहता। ऐसे धन में न सुख होता है और न ही संतोष। ऐसा धन भले ही तात्कालिक सुख दे परंतु दीर्घकाल में यह दुख, संकट और सामाजिक अपमान का कारण बनता है। व्यक्ति का मानसिक शांति खो जाती है क्योंकि भीतर ही भीतर उसे अपने कर्म का अपराध बोध सताता है।
धन को सिर्फ संग्रह करना, उपयोग नहीं करना
कई लोग धन को केवल जमा करते जाते हैं, पर उसका कोई उपयोग नहीं करते- न स्वयं के लिए, न समाज के लिए। ऐसे लोगों के लिए चाणक्य कहते हैं कि धन को बिना उपयोग के रखना, मृत व्यक्ति के पास खजाना रखने जैसा है। केवल संचय करने से धन में वृद्धि नहीं होती, बल्कि वह निष्क्रिय हो जाता है। ऐसी मानसिकता व्यक्ति को लोभी और आत्मकेंद्रित बना देती है। जीवन के सुखद अनुभव अधूरे रह जाते हैं।
कुशल योजना और बचत की कमी
चाणक्य स्पष्ट कहते हैं कि जो व्यक्ति कमाता तो है, लेकिन उसकी योजना नहीं बनाता, वह जल्दी ही संकट में फंस सकता है। बिना योजना के खर्च, बिना बचत के जीवन और बिना लक्ष्य के निवेश अंततः धन हानि का कारण बनते हैं। चाणक्य की नीति कहती है कि धन को तीन भागों में बांटना चाहिए- आवश्यकताओं के लिए खर्च, आपातकाल के लिए बचत, भविष्य के लिए निवेश।