Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर आपके पास हैं ये 3 चीजें, तो समझिए स्वर्ग आपके कदमों तले है
punjabkesari.in Tuesday, Aug 05, 2025 - 08:47 AM (IST)

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य, जिन्हें काउटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, भारत के प्राचीनतम और महानतम दार्शनिक, राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। उनकी नीति और ज्ञान आज भी प्रासंगिक हैं और जीवन में सफलता और सुख पाने के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होते हैं। चाणक्य निति का उद्देश्य केवल राजनीतिक कौशल ही नहीं, बल्कि एक सफल, संतुलित और सुखी जीवन जीने की कला भी सिखाना है। चाणक्य ने कहा है कि धरती पर ही स्वर्ग का सुख पाया जा सकता है, यदि आपके पास तीन महत्वपूर्ण चीजें हों। ये तीन चीजें आपके जीवन की नींव को मजबूत करती हैं और आपको मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से संपन्न बनाती हैं। आइए, विस्तार से समझते हैं कि ये तीन चीजें क्या हैं और क्यों जरूरी हैं।
अच्छे मित्र
चाणक्य निति में मित्रों का अत्यंत महत्व बताया गया है। जीवन में सही और सच्चे मित्रों का होना आपके सुख और समृद्धि के लिए अनिवार्य है। मित्रता केवल सामाजिक संबन्ध नहीं, बल्कि सहयोग, समझदारी, और नैतिक समर्थन का स्रोत है। चाणक्य के अनुसार, अच्छे मित्र आपकी परेशानियों को समझते हैं, आपको सही मार्ग दिखाते हैं और हर परिस्थिति में आपका सहारा बनते हैं। वे आपकी सफलता में खुश होते हैं और असफलता में आपका हौसला बढ़ाते हैं। अच्छे मित्र न केवल सुख के साथी होते हैं, बल्कि जीवन के कठिन समय में आपकी रक्षा भी करते हैं।
पर्याप्त धन और संसाधन
धन का महत्व चाणक्य ने कई बार स्पष्ट किया है। वे कहते हैं कि धन बिना जीवन की समस्याओं का समाधान असंभव है। लेकिन चाणक्य के अनुसार धन केवल संग्रह करने के लिए नहीं, बल्कि सही दिशा में खर्च करने और उसे बढ़ाने के लिए होना चाहिए। संपत्ति और संसाधन आपको जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाते हैं। भोजन, वस्त्र, आवास और शिक्षा जैसे बुनियादी तत्वों के बिना मनुष्य का जीवन संकटपूर्ण हो जाता है। धन का सही प्रबंधन आपको मानसिक शांति देता है क्योंकि वित्तीय सुरक्षा के बिना मनुष्य चिंता में डूबा रहता है। चाणक्य निति में कहा गया है कि धन एक महत्वपूर्ण माध्यम है लेकिन इसके प्रति लोभ और मोह नहीं होना चाहिए।
स्वास्थ्य और शारीरिक शक्ति
चाणक्य निति में स्वस्थ शरीर को भी स्वर्ग का आधार माना गया है। उन्होंने कहा है कि शरीर के बिना मनुष्य कुछ भी हासिल नहीं कर सकता। स्वस्थ शरीर से ही मनुष्य अपनी बुद्धि और आत्मा की ऊर्जा का सही उपयोग कर सकता है। स्वास्थ्य का अभाव जीवन को कठिन और दुखद बना देता है। बीमार शरीर में आनंद, शांति और सुख की अनुभूति करना मुश्किल होता है। इसलिए, शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखना और उसकी देखभाल करना अत्यंत आवश्यक है। चाणक्य ने योग, व्यायाम और सही आहार का महत्व भी बताया है। ये आदतें न केवल शरीर को स्वस्थ रखती हैं बल्कि मानसिक स्थिति को भी स्थिर और प्रसन्न बनाती हैं।