Chanakya Niti: जीवन में सफलता के 3 रहस्य, जो केवल किस्मत वालों को मिलते हैं
punjabkesari.in Wednesday, Jul 23, 2025 - 07:36 AM (IST)

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य न केवल भारत के महान अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ थे, बल्कि एक ऐसे विचारक भी थे, जिन्होंने जीवन के हर पहलू को गहराई से समझा और उसे स्पष्ट शब्दों में प्रस्तुत किया। उनकी चाणक्य नीति आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी सदियों पहले थी। चाणक्य का मानना था कि कुछ गुण और चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें हर इंसान अपने जीवन में पाना चाहता है, लेकिन ये सिर्फ उन्हीं को प्राप्त होती हैं जो वास्तव में भाग्यशाली होते हैं। चाणक्य ने विशेष रूप से तीन चीजों का ज़िक्र किया है जिन्हें यदि कोई मनुष्य अपने जीवन में पा ले, तो उसका जीवन धन्य हो जाता है। ये तीन चीजें हैं अच्छी पत्नी, सच्चा मित्र, और ज्ञान। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं:
अच्छी पत्नी- जीवन की सच्ची साझेदार
एक अच्छी पत्नी सिर्फ एक जीवनसाथी नहीं होती बल्कि वह एक मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत और जीवन की स्थिरता की जड़ होती है। चाणक्य के अनुसार एक पत्नी का चरित्र, बुद्धिमत्ता और निष्ठा ही पति के सुख-दुख का निर्धारण करती है। एक समझदार और सच्ची पत्नी न केवल घर को सहेजती है बल्कि संकट के समय अपने पति का संबल भी बनती है। दुर्भाग्यवश, हर किसी को ऐसा जीवनसाथी नहीं मिलता। यही कारण है कि चाणक्य इसे केवल सौभाग्यशाली व्यक्ति की उपलब्धि मानते हैं।
सच्चा मित्र
मित्रता आज के समय में एक आम शब्द बन गई है लेकिन सच्चे मित्र दुर्लभ होते हैं। चाणक्य के अनुसार, एक सच्चा मित्र वह होता है जो आपकी पीठ पीछे भी आपका भला सोचता है, आपकी गलतियों पर ईमानदारी से टोकता है, और विपत्ति के समय आपका साथ कभी नहीं छोड़ता। आज के दौर में स्वार्थ और प्रतिस्पर्धा की दुनिया में सच्चे मित्रों का मिलना मुश्किल होता जा रहा है। बहुत से लोग जीवन में कई मित्र बनाते हैं लेकिन जब समय कठिन होता है, तब वही लोग दूर हो जाते हैं। इसलिए चाणक्य ने सच्चे मित्र को भी सौभाग्य की निशानी बताया है।
ज्ञान
चाणक्य के अनुसार, ज्ञान ही वह तत्व है जो व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। यह इंसान को आत्मनिर्भर बनाता है और सही-गलत की पहचान कराता है। ज्ञान के बिना धन भी व्यर्थ हो सकता है, लेकिन ज्ञानवान व्यक्ति धन और मान-सम्मान दोनों अर्जित कर सकता है। हालांकि आज के आधुनिक युग में भी शिक्षा की उपलब्धता बढ़ी है, फिर भी सच्चा ज्ञान और जीवन के लिए उपयोगी विवेक हर किसी को नहीं मिलते। केवल वही व्यक्ति इसे प्राप्त कर सकता है जिसमें सीखने की ललक, धैर्य और आत्मविश्लेषण की क्षमता हो और ये गुण भी भाग्य से ही मिलते हैं।