Chanakya Niti: इस एक कार्य को करने के बाद ही राजा कर सकता है अपनी प्रजा की देखभाल

punjabkesari.in Tuesday, Sep 24, 2024 - 10:52 AM (IST)

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्री और रणनीतिकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी नीति, दार्शनिकता और कूटनीति के लिए प्रसिद्ध ग्रंथ अर्थशास्त्र और नीति शास्त्र लिखे। चाणक्य नीति एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जिसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन दिया गया है। उनकी नीति का मुख्य उद्देश्य समृद्धि, शक्ति और ज्ञान को बढ़ावा देना था। चाणक्य की नीति का आधार उन मानव स्वभावों और सामाजिक नियमों पर आधारित है, जो सदियों से समाज को संचालित करते आए हैं। उन्होंने मनुष्य के नैतिकता, नीति, और कूटनीति के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट किया। उनका मानना था कि एक सफल व्यक्ति को अपनी बुद्धि, चातुर्य और समर्पण से जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। तो चलिए बात जानते हैं उनकी कुछ खास नीतियों के बारे में- 
‘पथ प्रदर्शक’ हैं आंखें

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चक्षुः शरीरिणां नेता।

भावार्थ : आंखें ही देहधारियों की नेता हैं। आंखें ही जीवन की पथ प्रदर्शक होती हैं। आंखों के द्वारा ही जीव और जगत के कई-कई रूप देखने को मिलते हैं।
आंखें न हों तो आदमी एक कदम भी आगे न चल पाए। नेता की तरह आंखें ही व्यक्ति की पथ प्रदर्शक होती हैं।

‘आंखों’ का महत्व
अपचक्षुष: कि शरीरेण।

आंखों के बिना शरीर क्या है ? आंखें नहीं तो शरीर का महत्व ही क्या रह जाता है। नेत्रहीन व्यक्ति दूसरों के सहारे इधर से उधर शरीर को शव की भांति ढोता रहता है।

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शत्रु दंडनीति के ही योग्य
अमित्रो दंडनीत्यामायत्तु:।

भावार्थ : राजा को सदैव विरोधियों को कुचलने के लिए अपनी दंडनीति बनानी चाहिए। इससे आंतरिक और बाहरी शत्रु सिर उठाने का साहस नहीं कर पाते।
दंडनीति के उचित इस्तेमाल से ही ‘प्रजा की रक्षा’ सम्भव

दंडनीतिमधितिष्ठन् प्रजा: संरक्षति।

भावार्थ : अपने राज्य की रक्षा करने का दायित्व राजा का होता है। एक राजा तभी अपने राज्य की रक्षा करने में सक्षम हो सकता है जब उनकी दंडनीति निर्दोष हो। 

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Content Editor

Prachi Sharma

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