Chanakya Neeti : विवाहित जीवन बचाना है तो पुरुष न करें ये भूल

punjabkesari.in Tuesday, Dec 09, 2025 - 02:01 PM (IST)

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Chanakya Neeti : आचार्य चाणक्य एक महान कूटनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और दार्शनिक थे, जिनकी नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं। चाणक्य ने विवाह को केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों और जीवन के कर्तव्यों का अटूट बंधन माना है। चाणक्य नीति स्पष्ट रूप से बताती है कि शादी के बाद एक पुरुष का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य अपने दाम्पत्य जीवन की मर्यादा और पवित्रता को बनाए रखना है। यदि पुरुष इस मर्यादा का उल्लंघन करता है, तो उसका पूरा जीवन और उसकी बनाई हुई प्रतिष्ठा पल भर में नष्ट हो जाती है। चाणक्य के अनुसार, वह एक गलती जो शादी के बाद पुरुषों को कभी नहीं करनी चाहिए, वह है:

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पर-स्त्री गमन या दूसरी स्त्री के प्रति आसक्ति
चाणक्य नीति में इस गलती को न केवल सामाजिक पतन का कारण बताया गया है, बल्कि आर्थिक, मानसिक और आध्यात्मिक बर्बादी का भी मूल कारण माना गया है। चाणक्य ने पुरुषों को इस विषय पर विशेष रूप से सावधान रहने की सलाह दी है, क्योंकि पुरुष ही परिवार का मुखिया और समाज में प्रतिष्ठा का वाहक होता है।

 नैतिक और सामाजिक पतन 
चाणक्य के अनुसार, समाज में किसी भी व्यक्ति की प्रतिष्ठा उसके चरित्र पर टिकी होती है। जब पुरुष अपनी पत्नी के प्रति वफादार नहीं रहता, तो समाज में उसकी विश्वसनीयता समाप्त हो जाती है। लोग उस पर भरोसा करना बंद कर देते हैं। एक बार खोई हुई सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान को वापस पाना लगभग असंभव हो जाता है। यह गलती आने वाली पीढ़ियों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। बच्चे अपने पिता के व्यवहार को देखकर सीखते हैं और यह परिवार की नैतिक नींव को कमजोर करता है।

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आर्थिक बर्बादी
आश्चर्यजनक रूप से, चाणक्य इस आसक्ति को धन की हानि का भी एक बड़ा कारण मानते हैं। पर-स्त्री पर आसक्त पुरुष अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा अनावश्यक रूप से उस रिश्ते को बनाए रखने में खर्च करता है। वह उपहार, यात्राओं और गुप्त मुलाकातों पर बेहिसाब पैसा लुटाता है, जिससे उसका वास्तविक परिवार आर्थिक संकट में पड़ जाता है। गुप्त रिश्ते को निभाने के दबाव और तनाव के कारण पुरुष का ध्यान अपने मुख्य व्यवसाय या कार्य से हट जाता है। उसका मन विचलित रहता है, जिससे उसकी उत्पादकता  कम हो जाती है और अंततः उसकी आय प्रभावित होती है।

पारिवारिक और गृहस्थ जीवन का विनाश
विवाह के बाद गृहस्थी को ही सबसे बड़ा आश्रय माना जाता है। इस गलती से यह आश्रय पूरी तरह नष्ट हो जाता है। विवाह का आधार विश्वास है। एक बार यह विश्वास टूट जाता है, तो उसे दोबारा जोड़ा नहीं जा सकता। पत्नी और बच्चों के मन में पुरुष के प्रति सम्मान समाप्त हो जाता है। घर में लगातार झगड़े, तनाव और उदासी का माहौल बन जाता है। जिस घर को सुख-शांति का केंद्र होना चाहिए, वह युद्ध का मैदान बन जाता है।

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Content Editor

Prachi Sharma

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